ऐसा अक्सर आपके साथ होता होगा कि आपने दोपहर में चावल खाया और आपकी आंखें बंद होने लगी। आप चाहे ऑफिस में हों, घर में हों या मार्केट में, आपका बस मन करता है कि किसी तरह आपको बिस्तर मिले और आप उस पर सो जाएं। आप मैं से कई लोगों को आंखें खोलने के लिए संघर्ष भी करना पड़ता है। अगर आपको यह सब पढ़ते हुए ऐसा लग रहा है कि यह आपकी ही कहानी है, तो यह आर्टिकल आपके लिए ही है।
दाल- चावल, कढ़ी- चावल, राजमा- चावल, दम आलू- चावल, चावल के बिना हम भारतीयों का मील ही पूरा नहीं होता है। लेकिन अक्सर चावल खाने के बाद आलसपन और ड्राउजीनेस हमें स्लो कर देता है। भले ही हम कितना जरूरी काम क्यों न कर रहे हों, अचानक से उबासी आने लगती है और ऐसा लगता है बस हाथ- पैर फैला कर सो जाएं। वीकेंड पर तो सोना चलता है लेकिन जब आप ऑफिस या घर का काम कर रहे हों और नींद आने लगे तो झुंझलाहट सी होने लगती है।
क्या आपने कभी सोचा है कि अक्सर चावल खाने के बाद ही आपको इतना आलसपन और थकान क्यों महसूस होता है? ऐसा इसलिए है क्योंकि आप दोपहर में चावल का सेवन करते हैं। इसके बाद अचानक नींद आना या आलसपन महसूस होना आम बात है। अभी कुछ दिनों पहले ही अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर दीपिका पादुकोण की न्यूट्रीशनिस्ट पूजा मखीजा ने इसके बारे में विस्तार से बताते हुए इसके दो समाधान भी बताए हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर करते हुए बताया है कि चावल किस तरह ड्राउजीनेस का कारण बनता है और आप किस तरह से इस थकान, आलसपन और नींद से परहेज कर सकते हैं।
चावल और नींद के बीच का रिश्ता

सिर्फ अपने देश में ही नहीं बल्कि देश से बाहर विदेशों में भी कई कम्युनिटी के लोग चावल का सेवन अपने मुख्य भोजन के तौर पर करते हैं। अपने यहां तो बंगाली से लेकर बिहारी, उत्तर प्रदेश वाले, साउथ इंडियन सभी लोगों की मुख्य डाइट में चावल रहता ही है। अगर आप यह सोच रहे हैं कि चावल खाने के बाद आने वाली नींद चावल की वैरायटी या क्वालिटी पर निर्भर करती है, तो आप गलत हैं। चावल एक कंफर्ट फूड है और इसे हेल्दी डाइट में शामिल किया जाता है क्योंकि इसमें कार्बोहाइड्रेट बहुत ज्यादा होता है।
क्या कहती हैं पूजा मखीजा
कुछ दिनों पहले ही अपने सोशल मीडिया प्रोफाइल पर दीपिका पादुकोण की न्यूट्रीशनिस्ट पूजा मखीजा ने इस बारे में शेयर किया है और उन्होंने कहा है कि सिर्फ चावल ही नहीं बल्कि किसी भी कार्बोहीइड्रेट के सेवन से बॉडी पर ऐसा ही प्रभाव पड़ता है। ऐसा इसलिए क्योंकि कार्बोहाइड्रेट ग्लूकोज में परिवर्तित होते हैं और ग्लूकोज को इंसुलिन की जरूरत पड़ती है। एक बार इंसुलिन का स्तर बढ़ता है तो यह ब्रेन को ट्राइप्टोफैन के एसेंशियल फैटी एसिड को प्रवेश करने के लिए उकसाता है। इसके बाद वह प्रक्रिया मेलाटोनिन और सेरोटोनिन को बढ़ाती है, जो बॉडी को शांत करने वाले हार्मोन हैं और नींद आने का कारण बनते हैं। इस प्रक्रिया में बॉडी जो भी काम करती है, उसकी स्पीड न चाहते हुए भी कम हो जाती है।
नॉर्मल नर्वस रिस्पांस

अपने इसी वीडियो में पूजा आगे कहती हैं कि यह एक नॉर्मल नर्वस रिस्पांस है ताकि हमारी बॉडी जो कुछ भी काम कर रही है, उससे स्लोडाउन हो जाए और पाचन पर अपना सारा फोकस करें। अब आपको लग रहा होगा कि लंच में चावल खाना एक बहुत ही बुरा आईडिया है लेकिन इसे मैनेज करने का एक तरीका है। इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप दोपहर में चावल खाना ही छोड़ दें ताकि आपको ड्राउजीनेस और उनींदापन महसूस ना हो।
चावल खाने के बाद होने आलस और नींद से बचने के 2 तरीके

दीपिका पादुकोण पादुकोण की डाइटिशियन पूजा मखीजा ने चावल खाने के बाद होने वाली आलस, ड्राउजीनेस और आने वाली नींद से बचने के 2 तरीके बताए हैं –
ज्यादा खाने से करें परहेज
चावल खाने के साथ बेसिक प्रॉब्लम यह है कि खाते समय हमें ध्यान नहीं रहता और हम ज्यादा खा लेते हैं। जब हम चावल की तुलना रोटी से तुलना करते हैं, तो यह पता चलता है कि हम ज्यादा मात्रा में चावल का सेवन कर लेते हैं। पूजा कहती हैं कि चावल खाने के बाद आपको ड्राउजीनेस महसूस ना हो, इसका सबसे पहला समाधान है कि आप अपने पोर्शन को कंट्रोल करें। आप अपनी लंच मील की क्वांटिटी को कंट्रोल करें। ध्यान दें कि वह बहुत ज्यादा नहीं हो। आपका मेअल जितना ज्यादा होगा, आपको अपनी ड्राउजीनेस को भगाने के लिए उतना ही ज्यादा संघर्ष करना पड़ेगा। इसलिए अगर आप चाहते हैं चावल खाने के बाद आपकी नींद वाले हार्मोन ब्लड में रिलीज ना हो तो इससे बचने का बढ़िया तरीका है कि आप चावल को कम क्वांटिटी में खाएं।
कम कार्बोहाइड्रेट खाएं
आपको अपनी मील में कम से कम कार्बोहाइड्रेट खाने पर ध्यान देना चाहिए। कम कार्बोहाइड्रेट का सेवन जरूरी है, क्योंकि ये हमारी बॉडी को एनर्जी प्रदान करते हैं। लंच के बाद होने वाली सुस्ती और नींद को दूर भगाने के लिए कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम से कम करना चाहिए। पूजा मखीजा कहती हैं कि आप के लंच मील में 50% सब्जियां, 25% प्रोटीन और 25% कार्बोहाइड्रेट होना चाहिए। हमें प्रोटीन भी कम खाना चाहिए क्योंकि यह भी आपके ट्राइप्टोफैन के स्तर को बढ़ा सकता है।
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