Tonsil Stones: क्या आपको खाना निगलने में परेशानी हो रही है, क्या आपकी सांसों से बदबू आने लगी है या गले में छोटे-छोटे दाने महसूस हो रहे हैं… ये लक्षण हो सकते हैं टॉन्सिल स्टोन के। ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें टॉन्सिल में स्टोन हो जाते हैं जो दर्दनाक हो सकते हैं। अधिकतर मामलों में लोगों को टॉन्सिल स्टोन के बारे में पता ही नहीं चलता कि वह इस समस्या के शिकार हैं। वैसे तो ये समस्या इतनी गंभीर नहीं होती लेकिन कुछ मामलों में ये टॉन्सिल में सूजन और दांतों की सड़न का कारण बन सकते हैं। आखिर टॉन्सिल स्टोन क्या हैं और ये क्यों होते हैं, चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या है टॉन्सिल स्टोन

टॉन्सिल स्टोन जिसे टॉन्सिलोलिथ भी कहा जाता है। ये कैल्सीफाइड डेबरीस की कठोर गांठें हैं जो आपके टॉन्सिल पर बनती हैं। इसका आकार छोटा या बड़ा हो सकता है। ये सामान्यतौर पर सफेद और पीले रंग के स्टोन के रूप में दिखाई देते हैं। टॉन्सिल स्टोन की समस्या वयस्कों को अधिक प्रभावित करती है। ये स्टोन टॉन्सिल से जुड़ी नहीं होती बल्कि छोटे छिद्रों में फंस जाती है। स्टोन की समस्या अधिक गंभीर नहीं होती लेकिन सांस से संबंधित समस्या और बदबू पैदा कर सकती है। टॉन्सिल स्टोन को ओरल हाईजीन और घरेलू उपचार से रोका जा सकता है।
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क्या हैं टॉन्सिल स्टोन के कारण
टॉन्सिल आपके गले के पीछे के टिशू होते हैं जो बैक्टीरिया और वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकते हैं। इसमें छोटे-छोटे छेद और दरारें होती हैं। हालांकि टॉन्सिल कीटाणुओं को फिल्टर करते हैं लेकिन कई बार बैक्टीरिया और डेबरिस इन छेदों और दरारों में फंसकर कठोर हो जाता है। जो टॉन्सिल स्टोन के निर्माण का कारण बन सकता है। टॉन्सिल स्टोन का मुख्य जोखिम खराब ओरल हाईजीन है। इसके अलावा जिन लोगों को बार-बार टॉन्सिलिटिस की समस्या होती है उन्हें इसका सामना करना पड़ सकता है। कई बार लंबे समय तक साइनस की परेशानी होने पर भी टॉन्सिल स्टोन की समस्या हो सकती है।
टॉन्सिल स्टोन के मुख्य लक्षण

टॉन्सिल स्टोन विभिन्न प्रकार से उत्पन्न हो सकते हैं। इसके मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं।
– टॉन्सिल इंफेक्शन के साथ होने वाली सांस की बदबू
– मुंह का स्वाद खराब होना
– गले में खराश या निगलते समय दर्द होना
– लगातार खांसना
– भोजन निगलने में कठिनाई महसूस होना
– टॉन्सिल इंफेक्शन जो एंटीबायोटिक दवाओं से भी ठीक न हो
– टॉन्सिल पर सफेद धब्बे जो समय के साथ बड़े हो सकते हैं
– कानों में दर्द होना
– गर्दन के बाहरी हिस्से को छूने में दर्द
– सूजे हुए टॉन्सिल
– सांस लेने में कठिनाई
टॉन्सिल स्टोन में बरतें सावधानियां
– समय-समय पर गरारे करें
– हार्ष टूथपेस्ट का उपयोग करने से बचें
– एंटी-बायोटिक दवाओं का सेवन कर सकते हैं
– खाने में अधिक मिर्च-मसाले का उपयोग न करें
– धूम्रपान का सेवन न करें
– गले को अधिक सूखने न दें
– पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं
– गले में दर्द होने पर पेन किलर का सेवन कर सकते हैं
