अधिकतर मामलों में प्री-मेच्योर डिलीवरी के चलते नवजात शिशुओं में मृत्यु-दर का आंकड़ा अधिक देखने को मिलता  है। इस समस्या से निपटने के लिए कंगारू मदर केयर (केएमसी) काफी कारगर रहती है। और यह तकनीक बड़े-बड़े शहरो में बड़ी तेजी से पॉपुलर हो रही है। पोर्टिया मेडिकल के मेडिकल डायरेक्टर, डाॅ उदय कुमार मैया बता रहे हैं आखिर क्या है कंगारू मदर केयर और किसी तरह से यह नवजात शिशुओं में मृत्युदर को कम करने में सहायक सिद्ध हो रही है? 
 
कंगारू मदर केयर क्या है?
 
डाॅ उदय  कुमार के अनुसार कंगारू मदर केयर के अंतर्गत एक शिशु का जब प्री-मेच्योर बर्थ होता है तो इस तकनीक के द्वारा एक कंगारू की तरह ही शिशु और मां के बीच त्वचा से त्वचा का संपर्क रखा जाता है। इस दौरान शिशु को डायपर व टोपी,  जुराब पहनाएं जाते हैं और महिला को आगे से खुला गाउन पहनाकर उनके सीने पर बच्चे को लिटाया जाता है। हाइपोथर्मिया से बचाने के लिए मां के गाउन में बच्चे को ढक दिया जाता है। शुरुआत में कम से कम 1 घंटा इस तकनीक का प्रयोग किया जाता है। धीरे-धीरे इसका समय बढ़ा दिया जाता  है। इसी पोजिशन में मां अपने बच्चे को स्तनपान भी करा सकती हैं। ताकि शिशु का उचित विकास हो सके साथ ही मां और शिशु के बीच संबंध प्रगाढ़ हो सकें। यह तकनीक नवजात शिशु के लिए बेहतर फिजिकली डेवलपमेंट के लिए रास्ता भी खोलती है। इससे जच्चा-बच्चा को निम्नलिखित कुछ अन्य लाभ भी होते हैं ।
 
केएमसी(कंगारू मदर केयर) तकनीक के लाभ
 
  • इस तकनीक के जरिए त्वचा का संपर्क शिशु को शांत रखने और नवजात शिशु को संभालने में मां के आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होता है। 
  • रिसर्च से पता चला है कि जिन पेरेंट्स ने कुछ समय के लिए ही सही, अपने शिशु के साथ केएमसी का अभ्यास किया, उनके शिशु अच्छे से सोये, तनाव पर उनकी अच्छी प्रतिक्रिया मिली और उनका तंत्रिका तंत्र ठीक से काम कर रहा था और उनकी सोच बेहतर थी।
  • समय से पूर्व जन्मे शिशुओं के फेफड़े ढंग से विकसित नहीं होते हैं, लेकिन केएमसी उनमें ऑक्सीजन भरने की प्रक्रिया को बेहतर कर देता है।
  • हेल्थकेयर एक्सपर्ट्स अब केएमसी के लाभों को प्राथमिकता देने लगे हैं, जो कि आधे घंटे के भीतर नवजात शिशु का तापमान सुधार देता है। यह एक तरह का मानवीय एवं प्राकृतिक इनक्यूबेटर की तरह काम करता है । 
  • इससे मां के हार्मोन सक्रिय रहते हैं, जिससे दुग्ध आपूर्ति में वृद्धि होती हैं । 
  • त्वचा से त्वचा का संपर्क मां को रिलेक्स करता है और लंबी अवधि में इससे प्रसव के बाद होने वाले डिप्रेशन की संभावना भी कम हो जाती है क्योंकि इस तकनीक से ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्राव बढ़ता है, जो प्रसव  के बाद होने वाले डिप्रेशन को खत्म करने में प्रभावी पाया गया है।

ये भी पढ़ें-

इन 5 तरीकों से नई मां पूरी करें अपनी नींद

बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य के लिए ट्राई करें हैल्दी बेबी केयर एप्लायंसेज

स्तनपान के दौरान अपनी देखभाल के 5 टिप्स

जानें क्या है प्रेगनेंसी स्ट्रेच मार्क्स दूर करने के उपाय

आप हमें फेसबुकट्विटरगूगल प्लस और यू ट्यूब चैनल पर भी फॉलो कर सकती हैं।