Who Was Arun Khetarpal — The War Hero Portrayed by Agastya Nanda in “Ikkis”
Who Was Arun Khetarpal — The War Hero Portrayed by Agastya Nanda in “Ikkis”

Summary: “इक्कीस” में आगस्त्य नंदा ने निभाया अरुण खेत्रपाल का बेजोड़ किरदार

फिल्म “इक्कीस” भारतीय सेना के सबसे कम उम्र के परमवीर चक्र विजेता, सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल की शौर्यगाथा को बड़े पर्दे पर पेश करती है। अगस्त्य नंदा अरुण के साहस और देशभक्ति को जीवंत कर रहे हैं, जबकि धर्मेंद्र उनके पिता ब्रिगेडियर एम.एल. खेत्रपाल की भूमिका निभा रहे हैं।

भारत माता के ऐसे वीर सपूतों की कहानियां कभी पुरानी नहीं होतीं, जो देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देते हैं। सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल का नाम उनमें से ही एक है, जिन्होंने 1971 के भारत-पाक युद्ध में अपनी शौर्यगाथा से इतिहास में अमर स्थान पा लिया। मात्र 21 वर्ष की उम्र में अरुण ने जो साहस दिखाया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बन गया। यही वजह है कि जल्दी ही रिलीज होने वाली फिल्म “इक्कीस” में अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा उनके किरदार को निभा रहे हैं। 

फिल्ममेकर श्रीराम राघवन अपनी नई फिल्म ‘इक्कीस’ के जरिए सेकेंड लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल को श्रद्धांजलि देने जा रहे हैं। मैडॉक फिल्म्स द्वारा जारी किए गए इसके ट्रेलर में की शुरुआत एक भावनात्मक वॉयसओवर से होती है, जो दर्शकों को ले जाती है अरुण खेत्रपाल की यात्रा पर, जहां एक उत्साही एनडीए कैडेट से लेकर रणभूमि में खड़े एक निर्भीक टैंक कमांडर बनने तक का सफर दिखाया गया है। फिल्म में आगस्त्य नंदा अरुण खेत्रपाल की भूमिका निभा रहे हैं। फिल्म में धर्मेंद्र लेफ्टिनेंट कर्नल (बाद में ब्रिगेडियर) एम. एल. खेत्रपाल यानी अरुण के पिता का किरदार निभा रहे हैं। 

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अरुण खेत्रपाल का जन्म एक सैनिक परिवार में हुआ था। उनके पिता ब्रिगेडियर एम.एल. खेत्रपाल सहित दादा और परदादा ने भी भारतीय सेना में सेवा की थी। देशभक्ति उनके खून में ही थी। 1967 में उन्होंने नैशनल डिफेंस एकेडमी (NDA), खडकवासला में प्रवेश लिया। कड़े अनुशासन और मेहनत के बल पर वह अपनी बैच के स्क्वाड्रन कैडेट कैप्टन बने। इसके बाद उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ट्रेनिंग पूरी की और 3 जून 1969 को ‘17 पूना हॉर्स रेजिमेंट’ में सेकंड लेफ्टिनेंट के रूप में कमीशन प्राप्त किया।

Who was Arun Khetarpal?
Who was Arun Khetarpal?

दिसंबर 1971 में भारत-पाक युद्ध छिड़ा। अरुण उस समय अपने यंग ऑफिसर कोर्स में अहमदनगर में ट्रेनिंग ले रहे थे। युद्ध की खबर आते ही उन्हें तुरंत बुलाया गया और शकरगढ़ सेक्टर के बासंतार युद्ध में शामिल किया गया। युद्ध के दौरान जब पाकिस्तानी टैंक भारतीय मोर्चे के करीब पहुंचे, तो अरुण ने अपने टैंक ‘फामागुस्ता’ से दुश्मनों पर जबरदस्त हमला बोला।

उन्होंने 10 दुश्मन टैंकों को ध्वस्त कर दिया। जब उनका खुद का टैंक आग की लपटों में घिर गया, तब सीनियर ऑफिसर ने उन्हें पीछे हटने का आदेश दिया। लेकिन अरुण के होंठों से निकले शब्द आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजते हैं, “नहीं सर, मैं अपना टैंक नहीं छोड़ूँगा। मेरी मुख्य बंदूक अभी भी काम कर रही है और मैं इन कमीनों को मार डालूंगा”। कुछ ही समय बाद उनका टैंक निशाने पर आ गया और वह शहीद हो गए लेकिन उनके साहस ने भारतीय तिरंगे को और ऊंचा कर दिया।

Arun Khetarpal and the 1971 war
Arun Khetarpal and the 1971 war

तीस साल बाद 2001 में 81 साल के अरुण के पिता ब्रिगेडियर एम.एल. खेत्रपाल अपने जन्मस्थान पाकिस्तान के सरगोधा गए। वहां उनकी मुलाकात एक पाकिस्तानी ब्रिगेडियर ख्वाजा मोहम्मद नासिर से हुई। उन्होंने ब्रिगेडियर खेत्रपाल की सहायता की। लेकिन आखिरी रात नासिर साहब ने एक ऐसी बात कही जिसने सब कुछ बदल दिया। उन्होंने कहा, “सर, मैं वह व्यक्ति हूं जिसने आपके बेटे अरुण को युद्ध में मारा था।” 

उन्होंने आगे कहा, “आपका बेटा असाधारण साहसी था। जब हम आमने-सामने थे, हमारे टैंक सिर्फ 200 मीटर की दूरी पर थे। हमने एक साथ गोली चलाई, और किस्मत ने तय किया कि मैं जीवित रहूं और वह अमर हो जाए। बाद में जब मुझे पता चला कि वह मात्र 21 साल का था, तो मैं उसकी वीरता को सलाम किए बिना नहीं रह सका।” उस पाकिस्तानी अधिकारी ने आगे कहा, “आज जब मैं आपसे मिला, तो समझ आया कि ऐसे बेटे को वही पिता दे सकता है जिसके भीतर भी वही साहस और मूल्य हों।”

स्पर्धा रानी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज ने हिन्दी में एमए और वाईएमसीए से जर्नलिज़्म की पढ़ाई की है। बीते 20 वर्षों से वे लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट लेखन में सक्रिय हैं। अपने करियर में कई प्रमुख सेलिब्रिटीज़ के इंटरव्यू...