DDCA Director Interview: भारतीयों के लिए क्रिकेट मनोरंजन से कहीं ज्यादा मान-सम्मान का प्रश्न रहा है, खासतौर पर जब कोई भारतीय खिलाड़ी मैदान में बैटिंग कर रहा हो। आज महिलाओं के लिए भी क्रिकेट में अपार संभावनाएं बढ़ गई हैं। पुरुषों की तरह उनकी की भी अपनी टीम है जो हर साल वर्ल्ड कप खेलती है। अब आईपीएल की ही तरह वीपीएल भी आयोजित कराए जा रहे हैं और इसमें दिल्ली टीम बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रही है। महिला क्रिकेट टीम एवं वीपीएल को लेकर दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) के निदेशक श्री श्याम सुंदर शर्मा जी से गीता ध्यानी की कई बिंदुओं पर चर्चा हुईं। पढ़िए इसके प्रमुख अंश-
1) आईपीएल की तर्ज पर होने वाले वुमन प्रीमियर लीग (वीपीएल) का श्रेय किसे देना चाहते हैं?
बीसीआई के सचिव जय शाह जी की प्रगतिशील सोच का ही नतीजा है कि पिछले कुछ वर्षों में भारतीय महिला क्रिकेट में एक क्रांति-सी आ गई है। उन्होंने महिला क्रिकेटर की फीस 2 लाख से बढ़ाकर 15 लाख कर दी है, साथ ही भारतीय महिला क्रिकेट टीम को प्रचलित बनाने के लिए उन्होंने आईपीएल की तर्ज पर वीपीएल की शुरुआत की है। जिससे छोटे शहरों की अनजान महिला क्रिकेटर भी अचानक से शिखर पर पहुंच गई है। साथ ही साथ महिला क्रिकेटर वित्तीय रूप से भी मजबूत हुई हैं। जय शाह जी का कुशल प्रबंधन एवं प्रगतिशील सोच, महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए आशा की ज्योति की तरह काम कर रही है।
2) महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के लिए डीडीसीए किन योजनाओं पर कार्य कर रहा है?
डीडीसीए के अध्यक्ष रोहन जेटली की प्राथमिकता रहती है कि महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को पुरुष क्रिकेट खिलाड़ियों की ही तरह सभी सुविधाएं प्रदान की जाएं। दूसरे राज्यों की महिला क्रिकेट खिलाड़ियों के साथ दिल्ली टीम के मैच करवाएं आयोजित करवाए जाते हैं, ताकि अभ्यास के साथ उन्हें आगे बढ़ने का भी मौका मिल सके। दिल्ली टीम जब भी मैच खेलने जाती है तो उन्हें फाइव स्टार होटल में ठहराया जाता है। उन्हें अच्छे यूनिफॉर्म, अच्छे मैट्स और वॉल्वो गाड़ी तक प्रदान की गई हैं।
3) वुमन प्रीमियर लीग (वीपीएल) ने दिल्ली महिला क्रिकेट टीम के लिए किस तरह के अवसर अंकुरित हुए हैं?
सबसे बड़ा अवसर तो यह है कि बीसीसीआई द्वारा आयोजित वीपीएल में 5 राज्यों में दिल्ली कैपिटल्स को भी शामिल किया गया है। वीपीएल को आयोजित किए दो वर्ष हो चुके हैं और दोनों ही बार की लीग में दिल्ली कैपिटल्स फाइनल में खेली थी। पहले उनकी फीस 2 लाख हुआ करती लेकिन अब बीसीसीआई ने डीडीसीए के साथ मिलकर उनकी फीस 15 लाख कर दी है।
4) वीपीएल को देखते हुए क्या यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले वर्षों में क्रिकेट भी ओलंपिक में शामिल होगा?
जी हां, आने वाले ओलंपिक में क्रिकेट को भी शामिल किया जाएगा और पुरुषों के साथ महिला क्रिकेटर के लिए भी यह कई तरह की चुनौतियां और अपार संभावनाएं लेकर आएगा। जैसा कि आप जानते हैं कि दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेले गए महिला प्रीमियर लीग 2024 सीजन में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु और दिल्ली कैपिटल्स का जबरदस्त मैच हुआ था जहां दिल्ली टीम ने अच्छा प्रदर्शन दिया।
5) यदि लड़कियां क्रिकेट को अपना प्रोफेशन बनाना चाहें तो उसके लिए किस तरह की तैयारियां जरूरी हैं?
हरियाणा की लेडी सहवाग से मशहूर शैफाली वर्मा 15 साल की उम्र में भारत के लिए खेल गई थी, जिसका श्रेय बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष और हरियाणा क्रिकेट एसोसिएशन से संबद्ध अनिरुद्ध चौधरी को जाता है। शैफाली को देखकर ही आज माता-पिता अपनी बेटियों को क्रिकेट को करियर के रूप में चुनने के लिए प्रेरित कर रहे हैं तो यदि आप अपने बेटी को क्रिकेट में डालना चाहते हैं तो उन्हें पहले उन्हें स्कूलों में होने वाले क्रिकेट मैचेज में खिलाएं। उसके बाद दस साल की उम्र से वह उसे किसी भी क्रिकेट क्लब अथवा अकेडमी में डाल सकते हैं। दिल्ली में 100 से भी अधिक क्लब हैं जिन्हें डीडीसीए संचालित करता है। यहां लड़के और लड़कियों में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है इसलिए उनकी प्रैक्टिस एक साथ करवाई जाती है लेकिन मैचेज अलग-अलग होते हैं।
6) अकेडमी में एडमिशन के समय बेटियों को क्या-क्या हिदायतें देनी चाहिए?
यह केवल क्रिकेट अकेडमी में एडमिशन की बात नहीं, बेटियों को छुईमुई न बनाकर रखें। माता-पिता को लड़का और लड़की दोनों को एकसमान बढ़ा करना चाहिए। मैंने कई बार देखा है कि माता-पिता अपने बच्चों को जब अकेडमी में लाते हैं तो वे सड़क पार करवाते समय भी उसका हाथ पकड़ कर रखते हैं। इस तरह हम उनका आत्मविश्वास कम करते हैं। लड़कियों को सिखाएं कि किसी भी प्रकार की ‘बकवास’ को वो न सहें, अपने साथ होने वाले हर अन्याय का विरोध करें। उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में सिखाएं। उन्हें सिखाएं कि नारी शक्ति और मातृ शक्ति सबसे ऊपर है।
7) पुरुषों की तुलना में एक महिला क्रिकेटर के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं, इन्हें कम करने में डीडीसीए किस तरह के प्रयास कर रहा है?
निसंदेह महिलाओं के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं जिन्हें डीडीसीए बेहतर समझता है। इस ओर हम ने कई प्रयास भी किए हैं, जैसे कि फील्ड में उनके लिए वुमन टॉयलेट, बेबी फीडिंग रूम, सैनेटरी डिस्पोजेबल मशीन के साथ सैनेटरी नैपकीन की व्यवस्था की गई है। मेरा यही कहना है कि बीसीसीआई में जय शाह और डीडीसीए में अध्यक्ष रोहन जेटली महिला क्रिकेट खिलाड़ियों को खुलकर बढ़ावा दे रहे हैं जिससे छोटे शहरों की लड़कियां भी अब क्रिकेट को करियर के रूप में चुन रही हैं।
