आज कई ऐसे सफल और प्रतिष्ठित बॉलीवुड स्टार्स हैं, जिन्हें हम बहुत प्यार करते हैं, उनके चलने-बोलने से लेकर उनकी लाइफस्टाइल तक को फॉलो करने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं, जो शाही जिंदगी में वे आज जी रहे हैं, उन्हें ऐसे ही नहीं मिली है। एक साधारण इंसान से सेलेब्रिटी बनने का सफर तय करने में उन्होंने अनेक मुश्किल परिस्थितियों का सामना किया है। ऐसे ही कुछ बॉलीवुड सेलेब्रिटी से आपको रू-ब-रू करवाते हैं, जो अपने चाहने वालों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन चुके हैं।

आसान नहीं थी मिथुन की राहें

जब मिथुन पहली बार मुंबई आए तो उनके पास सिर छुपाने के लिए छत भी नहीं थी। वह पानी की टंकी और बिल्डिंग की छतों पर सोकर रात गुजारते थे। उनके गहरे रंग की वजह से हर निर्देशक उन्हें रिजेक्ट कर देता था। मिथुन नृत्य में निपुण थे, जिसे उन्होंने अपनी ताकत बनाया। उन्होंने सबसे पहले ‘à¤®à¥ƒà¤—à¤¯à¤¾Ó à¤¨à¤¾à¤®à¤• फिल्म में काम किया लेकिन इसके बाद भी वह काफी समय तक गुमनाम ही रहे। बावजूद इसके मिथुन ने कभी भी सपने देखना नहीं छोड़ा और हकीकत का डटकर सामना किया। आर्थिक हालत इतनी खराब हो चुकी थी कि खाने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। धीरे-धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी और उनके नृत्य के हुनर के बल पर उन्हें फिल्में मिलनी शुरू हो गईं, जिसके परिणाम स्वरूप उनके अभिनय और डांस का डंका बजने लगा। डिस्को डांसर फिल्म की अपार सफलता 

के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। आज एक सफल अभिनेता होने के साथ वे एक सफल उद्योगपति भी हैं। मिथुन चक्रवर्ती मोनार्क ग्रुप ऑ$फ होटल्स के मालिक हैं, जो कि लग्जरी होटल्स की चेन है और करोड़ों की कमाई करती है।

वॉचमैन की नौकरी करते थे नवाजुद्दीन

अपने नौ भाई-बहनों के बीच पले-बढ़े नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने काफी लंबे संघर्ष के बाद कामयाबी पाई। उन्होंने अपने सपने को पूरा करने की अपार कोशिशें की जो उन्हें अपने सपने के और ज्यादा करीब ले गई। केमिस्ट की नौकरी छोड़कर दिल्ली तो आ गए थे लेकिन यह नहीं जानते थे कि उन्हें करना क्या है? इसी बीच वह एक थिएटर ग्रुप के साथ जुड़ गए और साथ में ही नोएडा में वॉचमैन की नौकरी भी ज्वॉइन कर ली। दिन भर वॉचमैन की नौकरी करते और शाम को एक्टिंग की प्रेक्टिस करने थिएटर चले जाते। 1 साल बाद नवाजुद्दीन ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया। वहां से 3 साल का कोर्स करने के बाद 4 साल एनएसडी में गुजारे। अपने साथी कलाकारों के साथ नुक्कड़ नाटक भी करने लगे, जिससे उन्हें कुछ पैसे मिल जाते थे। वर्षों बाद उन्होंने 1999 में आमिर खान की सरफरोश में एक छोटा सा रोल अदा किया। छोटे-छोटे रोल करते-करते उन पर निर्देशक अनुराग कश्यप की नजर पड़ी और उन्होंने नवाजुद्दीन को ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ में काम करने का अवसर दिया, जिसके बाद उनकी जिंदगी ही बदल गई। तिग्मांशु धूलिया की पान सिंह तोमर ने इन्हें एक अलग मुकाम पर पहुंचा दिया। इस मुकाम पर पहुंचने के लिए उन्हें तकरीबन 14 साल का लंबा सफर तय करना पड़ा। इस दौरान वे कई बार टूटे लेकिन उनके बुलंद हौसलों ने उन्हें थामे रखा और आज उनके अभिनय का वर्चस्व पूरी दुनिया में कायम है।

अमिताभ हो गए थे दिवालिया

अमिताभ बच्चन को बेशक आनंद की सफलता के बाद काफी सराहना मिली लेकिन कामयाबी अभी भी उनसे दूर थी। इस बीच कई फिल्मों में उप-नायक भी बने, लेकिन 1973 में फिल्म ‘जंजीर’ के हिट होने से उन्होंने कामयाबी का स्वाद चखा। इसके बाद उनकी कई फिल्मों ने अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन 1982 में कुली की शूटिंग करते वक्त उन्हें एक गंभीर चोट लगी, जिसके कारण वह मौत के निकट पहुंच गए थे लेकिन लोगों की दुआओं ने उन्हें बचा लिया। एक दौर ऐसा भी आया जब फिल्में फ्लॉप होने के कारण वह काफी कर्जदार हो गए, फिर भी वे आशावादी रहे। इसी बीच ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के माध्यम से उन्हें कामयाबी पाने का नया जरिया मिला, जिसके उपरांत पूरा विश्व उन्हें महानायक के नाम से जानता है।

घर छोड़ दिया था कंगना ने

कंगना रनौत के माता-पिता चाहते थे कि वह एक डॉक्टर बने लेकिन 12वीं की बोर्ड परीक्षा में फेल होने के बाद जब उनके पिता काफी आग बबूला हो गए तो कंगना अपने घर वालों से झगड़ा करके घर छोड़कर दिल्ली आ गई जहां उन्होंने 16 साल की उम्र में ही मॉडलिंग शुरू कर दी। अपना करियर बनाने के लिए कंगना को भी काफी संघर्ष करना पड़ा। कभी-कभी तो पैसे ना होने के कारण सिर्फ ब्रेड रोटी और अचार पर ही वह अपना पूरा दिन गुजारती थीं। मुश्किलें बढ़ गईं जब उनके पिताजी ने भी पैसे भेजने बंद कर दिए। 2005 में उनके करियर में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उन पर निर्माता अनुराग बसु की नजर पड़ी। उनकी खूबसूरती निहारते हुए अनुराग बसु ने उन्हें अपनी फिल्म ‘गैंगस्टर’ के लिए साइन कर लिया। यहीं से कंगना के बॉलीवुड डेब्यू हुआ और उन्हें उसी साल बेस्ट डेब्यू का अवार्ड भी मिला। कंगना एक ऐसी अभिनेत्री हैं, जो अपने धमाकेदार अभिनय से लोगों का दिल जीत लेती हैं। उन्हें चार बार नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।

बार-बार रिजेक्ट होते थे à¤®à¤¨à¥‹à¤œ बाजपेयी

ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद मनोज ने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में काफी बार कोशिश किया लेकिन चार-पांच बार कोशिश करने पर भी उनका सिलेक्शन नहीं हुआ। इसी कारण उन्होंने आत्महत्या करने का मन बना लिया था लेकिन तभी रघुवीर यादव ने उन्हें बैरी जॉन की एक्टिंग वर्कशॉप में काम करने का सुझाव दिया। मनोज दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ‘स्वाभिमान’ में भी नजर आए। फिल्मों में उन्हें पहला अवसर 1994 में शेखर कपूर द्वारा निर्देशित ‘बैंडिट क्वीन’ में मिला लेकिन उन्हें असली स्टारडम 1998 में राम गोपाल वर्मा की ‘सत्या’ और ‘शूल’ से मिला। इन्हीं दोनों फिल्मों में शानदार अभिनय के लिए उन्हें फिल्म फेयर फिल्म अवार्ड भी मिला और ‘पिंजर’ के लिए उन्हें नेशनल फिल्म अवार्ड से नवाजा गया। वह बताते हैं कि उन्हें सफलता आसानी से नहीं मिली है। जब भी वह अपनी तस्वीरें लेकर निर्देशकों के पास जाते थे तो उनके जाते ही उन्हें बाहर निकाल दिया जाता था। कभी-कभी तो पहला शॉट देने के बाद ही उन्हें फिल्म से निकाल दिया जाता था। इसमें कोई शक नहीं है कि वह आज बॉलीवुड इंडस्ट्री के सदाबहार अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं।

नाकामियों से सीखे शाहरुख

बॉलीवुड के ‘किंग खान’ शाहरुख खान भी अपनी आलोचनाओं को सहते हुए कभी भी अपनी नाकामियों से निराश नहीं हुए बल्कि और अधिक सुदृढ़ हो गए। मुंबई में कई साल संघर्ष करने के बाद उन्होंने अपने अभिनय की शुरुआत ‘फौजी’ नामक धारावाहिक से की। 1992 में निर्देशक राज कंवर की ‘दीवाना’ रिलीज हो गई जो बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट रही और शाहरुख लोगों के दिलों की धड़कन बन गए। इसके बाद ‘डर’, ‘अंजाम’, ‘बाजीगर’ जैसी फिल्मों में उन्होंने नकारात्मक भूमिकाएं भी निभाईं। 1995 में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ ने तो सफलता के नए रिकॉर्ड बना दिए और शाहरुख को रोमांस के बादशाह के रूप में मशहूर कर दिया।

कभी हारना नहीं सीखा कपिल ने

कॉमेडी किंग कपिल शर्मा को कॉलेज में पढ़ाई करने दौरान जब अपने पिता के कैंसर की बीमारी के बारे में पता चला तो वे टूट गए। उनके निधन के बाद परिवार की पूरी जिम्मेदारी कपिल के कंधों पर आ गई। 2005 में उन्हें पहली बार पंजाबी चैनल एम.एच.1 पर कॉमेडी शो में अपना हुनर दिखाने का मौका मिला, जहां वह सेकंड रनर अप रहे। जिन दिनों में अमृतसर में संघर्ष कर रहे थे, तब उस समय टीवी पर ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज शो’ ने तहलका मचा रखा था। कपिल के दोस्तों ने उसे वहां जाकर किस्मत आजमाने की सलाह दी। अमृतसर ऑडिशन में तो उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया पर हिम्मत ना हारते हुए वह दिल्ली ऑडिशन में किस्मत आजमाने गए, जहां सिलेक्ट होने के बाद उन्होंने इस शो के 2007 सीजन की ट्रॉफी पर भी कब्जा कर लिया। सालों की अटूट मेहनत के बाद कपिल ने अपनी कमाई से अपनी ही प्रोडक्शन कंपनी खोलकर अपना नया शो ‘कॉमेडी नाइटस विद कपिल’ शुरू किया और सबके चहेते बन गए।

फिल्मी जगत के कई ऐसे महान कलाकार हैं, जिनका फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था लेकिन अपने मेहनत और अभिनय के बल पर उन्होंने ना केवल खुद को साबित किया बल्कि दर्शकों के दिलों में आज भी राज़ कर रहे हैं। 

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