निर्देशक- अभिषेक कपूर
कलाकार- कटरीना कैफ, आदित्य रॅाय कपूर, तब्बू, लारा दत्ता,अजय देवगन
अवधि- 2 घंटे 11 मिनट
इस फिल्म के ट्रेलर को देखकर और गानों को सुनकर जितनी उम्मीदें जगी थी, फिल्म को देखकर वो उम्मीदें फीकी पड़ सकती है।
कहानी- श्रीनगर में रहने वाले नूर (आदित्य रॅाय कपूर) को बेगम हजरत की बेटी फिरदौस से पहली नज़र में प्यार हो जाता है। इनका प्यार परवान चढ़ता है, लेकिन ये कमसिन, मासूम इश्क तब्बू के इशारों पर बिखर जाता है और फिर कैसे उतार चढ़ाव देखता है, इसी के इर्द-गिर्द फिल्म की कहानी चलती है। फिल्म में अजय देवगन ने आतंकवादी का किरदार का निभाया है। कहानी कश्मीर से दिल्ली और दिल्ली से लंदन होते हुए फिर कश्मीर आती है। पूरी प्रेम कहानी में जो चीज दिल में रच-बस जाती है वह कश्मीर की खूबसूरती है। चाहे वह बर्फ गिरते हुए नजारे हों या बेगम हजरत का बंगला या फिर शिकारे पर जीवन।
निर्देशन- निर्देशक अभिषेक कपूर ने पहले ‘काय पो छे’ जैसी फिल्में की हैं। इस फिल्म के दृश्य बेहतरीन हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि निर्देशक ने फिल्म के सीन्स और कलाकारों के लुक्स के सामने आदित्य रॅाय कपूर और कटरीना कैफ के बिना एक्सप्रेशन वाले चेहरे को इग्नोर किया है। पूरी प्रेम कहानी में जो चीज दिल में रच-बस जाती है वह कश्मीर की खूबसूरती है। चाहे वह बर्फ गिरते हुए नजारे हों या बेगम हजरत का बंगला या फिर शिकारे पर जीवन। फिल्म के कई सीन्स ऐसे हैं जिनका कारण समझ नहीं आता जैसे रातोंरात नूर का अमीर बन जाना, नूर की बहन की मौत आदी।
ऐक्टिंग– ऐक्टिंग के नाम पर सिर्फ तब्बू को बतौर बेगम हज़रत जान देखना अच्छा लगेगा क्योंकि उन्होंने अपने किरदार को ईमानदारी से निभाया है। तब्बू ने अपनी ऐकेटिंग से चार्ल्स डिकेन्स के उपन्यास की मिस हैविशैम के किरदार को बखूबी पर्दे पर उतारा है। आदित्य और कटरीना की ऐक्टिंग आपको मायूस करेंगे।
म्यूजिक– फितूर का म्यूजिक फिल्म की कहानी के साथ पिरोई सी लगती है।अमित त्रिवेदी की धुन ऐसी है की आप इन्हें सुनते हुए अपनी दुनिया में खो जायेंगे। फिल्म के म्यूजिक से आपको कभी-कभी कश्मीर की वादियों का एहसास भी महसूस कर पाएंगे, खासतौर से ‘हमीनस्तों’ और ‘होने दो बत्तियां’ गीत।
कुल मिलाकर यह फिल्म कश्मीर की वादियों और तब्बू की ऐक्टिंग के लिए देख सकते हैं।
