“बाईजी! अब आप मत बोलिए। बोलने दीजिए इन्हें। ये सब एक सरीखे हैं। पूरी उमर हो गई। इन्होंने यही काम तो किया। आपस में लड़े और लड़-लड़कर धन और धरम सब खोया।” नानकिया बाईजी को समझा रहा था, लेकिन बाईजी नहीं मान रही थीं। बीच-बीच में सुरेश भी बाईजी को कह रहा था- “बाईजी आप […]
