Summary: माता-पिता का सकारात्मक व्यवहार बच्चों को गुस्से की आदत से दिलाएगा राहत
बच्चों का यह व्यवहार उनकी भावनात्मक स्थिति, मानसिक तनाव और आसपास के वातावरण का नतीजा होता है।
Child Anger Causes: आजकल हर घर में एक समस्या आम होती जा रही है। हर व्यक्ति अपने बच्चों के व्यवहार में तेजी से आए परिवर्तन को लेकर परेशान है। गुस्सा , बात -बात पर जवाब देना और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण आजकल के बच्चों में बहुत ज्यादा देखे जा रहे हैं। माता-पिता अपने बच्चों के जिद्दी और बिगड़ैल व्यवहार को लेकर काफी चिंतित रहने लगे हैं। ऐसे में सबसे पहले इस व्यवहार के पीछे छुपे कारण को जान लेना ज्यादा फायदेमंद होगा ताकि समय रहते बच्चों के ऐसे नकारात्मक व्यवहार पर रोक लगाई जा सके।
दरअसल बच्चों का यह व्यवहार उनकी भावनात्मक स्थिति, मानसिक तनाव और आसपास के वातावरण का नतीजा होता है।
जीवनशैली का प्रभाव

आजकल की व्यस्त ज़िन्दगी में बच्चों के लिए स्वस्थ दिनचर्या का पालन करना मुश्किल हो गया है। समय पर ना सोना, गलत खान-पान और शारीरिक गतिविधि की कमी बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से असंतुलित बना देती है। माता-पिता की व्यस्त जीवनशैली होने के कारम वो भी बच्चों को उचित समय और ध्यान नहीं दे पाते हैं।
डिजिटल लत और स्क्रीन टाइम

टीवी, मोबाइल, और टैबलेट हर बच्चे के जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं। लगातार घंटों तक स्क्रीन देखने से बच्चों के दिमाग पर नकारात्मक असर पड़ता है। बच्चे किसी काम में ज्यादा देर तक ध्यान नहीं लगा पाते हैं। इस लत से उनकी नींद पर भी काफी गहरा प्रभाव पड़ता है। उनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन आने लगता है।
बातचीत और पालन-पोषण
जीवनशैली व्यस्त होने के कारण हर परिवार में आपसी संवाद की कमी एक बड़ी समस्या बन गया है। माता-पिता और बच्चों के बीच बहुत कम बातें होना या बातों का ठीक से ना सुना जाना बच्चों की भावनाओं को ठेस पहुंचाता हैं। कठोर अनुशासन में रखना या बार-बार डांट-फटकार लगाने से भी बच्चे को अकेला और उपेक्षित महसूस होने लगता है।
तुलना करना

अक्सर माता-पिता बच्चों की तुलना उनके दोस्त या भाई बहनों से करते हैं। माता-पिता के ऐसा करने पर बच्चों के मन में हीं भावना आने लगती है। ऐसे में बच्चा खुद को दूसरों से कमतर महसूस करता है, और इसका गहरा असर बच्चों के मस्तिष्क पर पड़ता हैं जिसके कारण वो चिड़चिड़ा और गुस्सैल बन जाता है।
पढ़ाई का दबाव

माता-पिता का बच्चों से अच्छे अंकों की उम्मीद, हर प्रतियोगिता में जीतने का दबाव और दूसरों से तुलना करना बच्चों को दबाव में ले आता हैं। ऐसी अपेक्षाएं बच्चों पर मानसिक भार दाल देती हैं। बच्चे इस दबाव को सहन नहीं कर पाते हैं और इसी वजह से उनका गुस्सा खुद पर, और कभी-कभी दूसरों पर भी निकलता है।
सकारात्मक परवरिश और भावनात्मक व्यवहार से होगा समाधान
बच्चों के गुस्से और चिड़चिड़ेपन को समझदारी से संभालना जरूरी है। माता-पिता थोड़ा संयम से काम लें तो इस स्थिति से निपटा जा सकता है।
प्रतिदिन बच्चों के साथ कुछ समय बिताएं और उन्हें ध्यान से सुनें।
उनकी भावनाओं का सम्मान करें साथ ही उन्हें अपनी बात कहने का पूरा मौका दें।
पढ़ाई और दिनचर्या के बीच संतुलन बनाए रखने में उनकी मदद करें।
घर का माहौल शांतिपूर्ण बनाएं रखें और हमेशा बच्चों का सहयोग करें।
स्क्रीन टाइम को सीमित करें और आउटडोर गतिविधियों को बढ़ावा दें।
