37 वर्षीय कविता शाह से अभी- अभी ही ऑनलाइन ट्रान्जैक्शन करना सीखा था। उन्हें ऑनलाइन शॉपिंग में मजा भी बहुत आता था। एक दिन उन्हें ऐसी वेबसाइट के बारे में पता चला, जहां वह अपने घर की पुरानी लेकिन काम लायक चीजें बेच सकती थीं। बस कविता ने उनमें से कुछ चीजों की फोटो क्लिक करके पोस्ट कर दी। उनके पास कई लोगों के मैसेज आने लगे। उनमें से एक मैसेज ऐसा था, जिसने कसी तरह का मोल- भाव करने की कोशिश नहीं की। उस व्यक्ति ने कविता से कहा कि वह उन्हें एक लिंक भेज रहा है, जिस पर अपना पिन डालते ही उनके पास पैसे आ जाएंगे और उसके बाद वह व्यक्ति सामान ले जाएगा। कविता को यह बात ठोड़ी अजीब लगी लेकिन वह समझ नहीं पाईं। बस क्या था, पिन डालते ही कविता के अकाउंट से पैसे निकल गए और कविता हाथ मलते रह गईं। यह हादसा सिर्फ कविता के साथ नहीं, बल्कि कई लोगों के साथ होता है। लोग असल और फ्रॉड के बीच के फासले को समझ नहीं पाते हैं।

हम सब जानते और मानते हैं कि ऑनलाइन बैंकिंग की वजह से ग्राहकों को बहुत आसानी हो गई है, अब हम सब कभी भी और कहीं भी अपने धन तक पहुंच सकते हैं और ऑनलाइन शॉपिंग भी कर सकते हैं। लेकिन इस आसानी धन के लेन- देन में कहीं आपका रुपया धोखेबाजों तक पहुंच न जाए, इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने फाइनेंशियल धोखेबाजी से बचने के लिए एक बुकलेट के माध्यम से कुछ खास टिप्स शेयर किए हैं। इस आर्टिकल में हम उनमें से कुछ टिप्स के बारे में जानेंगे।   

फिशिंग लिंक

 

धोखेबाज एक तृतीय पक्ष वेबसाइट बनाते हैं, जो मौजूदा और असली वेबसाइट की तरह ही दिखता है, जैसे किसी बैंक की वेबसाइट या ई- कॉमर्स वेबसाइट या सर्च इंजन आदि।

इन लिंक को ये धोखेबाज एसएमएस या सोशल मीडिया याए ई- मेल या इंस्टाइन्ट मैसेंजर आदि के जरिए सर्कुलेट कर देते हैं।

अधिकतर बार ग्राहक इन मैसेज पर एक नजर डालकर और लिंक पर क्लिक करके अपने क्रेडेंशियल्स को इंटर कर देते हैं। वे डीटेल में यूआरएल को चेक नहीं करते हैं।

इन लिंक को वेबसाइट के प्रामाणिक दिखने वाले नामों के जरिए छिपा दिया जाता है, लेकिन असल में ग्राहक फिशिंग वेबसाइट पर पहुंच जाता है।

जब ग्राहक इन वेबसाइट पर अपने सुरक्षित क्रेडेंशियल्स को इंटर करता है, तो उसे धोखेबाज कैप्चर करके इस्तेमाल कर लेते हैं।

फिशिंग लिंक से जुड़ी सावधानी

किसी भी अनजाने लिंक पर क्लिक नहीं करना चाहिए। आप भविष्य में भी उन लिंक को एक्सेस नहीं कर पाएं, इसलिए उन एसएमएस या ई- मेल को डिलीट कर देना चाहिए। वेबसाइट की डीटेल को वेरिफाई करने के लिए ध्यान रखना चाहिए, खास तौर पर तब जब इसमें फाइनेंशियल क्रेडेंशियल्स इंटर करने की जरूरत पड़े।

विशिंग कॉल्स

 

धोखेबाज टेलीफोन कॉल या सोशल मीडिया के माध्यम से बैंकर या कंपनी इग्ज़ेक्यटिव या इंश्योरेंस एजेंट या सरकारी कर्मचारी आदि बनकर ग्राहकों को कॉल या संपर्क करते हैं। वे उनका विश्वास हासिल करने के लिए उनका नाम या जन्म की तारीख जैसे कुछ डीटेल शेयर करते हैं और उनसे उनके सुरक्षित क्रेडेंशियल्स को कन्फर्म करना चाहते हैं।

कुछ मामलों में, धोखेबाज ग्राहकों पर तुरंत कॉन्फिडेंशियल डीटेल शेयर करने के लिए दबाव डालते हैं या उनसे धोखाधड़ी करते हैं। वे इमरजेंसी की बात करते हुए ट्रान्जैक्शन को ब्लॉक करने के लिए जरूरी डीटेल, पेनल्टी को रोकने के लिए आवश्यक पेमेंट, अट्रैक्टिव डिस्काउंट आदि पाने का बहाना बनाते हैं। बाद में इन क्रेडेंशियल्स का उपयोग ग्राहकों को धोखा देने के लिए किया जाता है।  

विशिंग कॉल्स से जुड़ी सावधानी

बैंक अधिकारी या वित्तीय संस्थान या कोई भी असल संस्था कभी भी ग्राहकों से अपनी कॉन्फिडेंशियल जानकारी जैसे यूजर नाम/ पासवर्ड/ कार्ड की डीटेल/ सीवीवी/ ओटीपी शेयर करने के लिए नहीं कहते हैं।

ऑनलाइन सेलिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए धोखेधड़ी

 

किसी भी ऑनलाइन सेलिंग प्लेटफॉर्म पर धोखेबाज आपके प्रोडक्ट में इन्टरेस्ट दिखाते हुए विक्रेता बनने का झांसा देते हैं।

वे आपको पैसे देने की बजाय, यूपीआई एप के जरिए “धन का अनुरोध करें” विकल्प का इस्तेमाल करते हैं और आपके बैंक अकाउंट से पैसे निकालने के लिए अनुरोध को अप्रूव करने पर जोर देते हैं। आपके पास मैसेज आएगा- रुपए पाने के लिए कृपया पिन इंटर करें।

ऑनलाइन सेलिंग प्लेटफॉर्म से जुड़ी सावधानी

ऑनलाइन प्रोडक्ट के लिए ट्रान्जैक्शन यानी लेन- देन करते हुए किसी को भी अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है।

यह हमेशा याद रखें कि रुपए पाने के लिए आपको पिन या पासवर्ड कहीं भी इंटर करने की जरूरत नहीं है।

यदि यूपीआई या कोई अन्य एप आपसे ट्रान्जैक्शन को पूरा करने के लिए पिन इंटर करने को कहे, तो इसका मतलब यह है कि आप पैसे पाने की बजाए भेज रहे हैं।

अनजाने/ अनवेरिफाइड मोबाइल एप के इस्तेमाल से धोखेधड़ी

 

एक बार आपने अनजाने/ अनवेरिफाइड मोबाइल एप को डाउनलोड कर लिया तो धोखेबाज आपके मोबाइल डिवाइस/ लैपटॉप/ डेस्कटॉप तक पहुंच पा लेते हैं।

इन एप्लिकेशन लिंक को अमूमन एसएमएस/ सोशल मीडिया/ इन्स्टेन्ट मैसेंजर आदि के माध्यम से शेयर किया जाता है। ये लिंक प्रामाणिक दिखने वाले नामों के जरिए छिपे हुए होते हैं लेकिन असल में ग्राहक को अनजाने एप्लिकेशन को डाउनलोड करने के लिए कहा जाता है।

एक बार गलत एप्लिकेशन डाउनलोड हो गया, तो धोखेबाज आपकी डिवाइस को पूरी तरह से एक्सेस कर लेता है।

अनजाने/ अनवेरिफाइड मोबाइल एप से जुड़ी सावधानी

कभी भी अनजाने या अनवेरिफाइड सोर्स से एप्लिकेशन को डाउनलोड न करें।

 

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