Hindi Motivational Story: घटना स्कॉटलैंड के इन फर्म लाईन की है। एक निर्धन बालक ने जन्म लिया। उसका पिता एक छोटा-सा ठेला लेकर फेरी लगाया करता था और माँ घर पर केक बना कर सड़क के नुक्कड़ पर बैठ कर बेचा करती थी। उसने देखा कि इस गरीबी के वातावरण में यहाँ रहकर विकास नहीं हो सकता। इस वातावरण से वह ऊब गया और घर वालों से बिना कहे अमेरिका चला गया। वहाँ उसे एक इस्पात कंपनी में चपरासी का पद मिल गया। काम बहुत थोड़ा था। जब घंटी बजती तभी मैनेजिंग डायरेक्टर के सामने हाज़िर हो जाता और काम पूरा करके कार्यालय के बाहर रखे हुए एक स्टूल पर बैठ जाता। उसे बेकार में समय गुज़ारना अच्छा नहीं लगता था। अतः मैनेजिंग डायरेक्टर की अलमारी से कोई पुस्तक निकाल कर खाली समय में पढ़ता रहता।
एक दिन किसी बात पर डायरेक्टरों में विवाद होने लगा। वह कसी निर्णय पर पहुँचने की स्थिति में नहीं थे। वह चपरासी सभी चर्चा सुन रहा था। अपने स्थान से उठा और अलमारी से एक पुस्तक निकाल कर उस पृष्ठ को खोल कर उनकी मेज़ पर रख दिया, जिसमें उस प्रश्न का उत्तर था। एक स्वर में उसकी विद्वत्ता को सराहा गया। इसीलिए तो मिल्टन ने कहा था कि मन चाहे तो स्वर्ग को नरक और नरक को स्वर्ग बना सकता है। क्योंकि मन को संस्कारवान बनाने और व्यक्तिगत तथा सामाजिक समृद्धि को प्राप्त करने का उपाय है उद्देश्यपूर्ण ढंग से स्वाध्याय। उस चपरासी ने उद्देश्यपूर्ण और योजनाबद्ध ढंग से स्वाध्याय करके यह दिखा दिया कि थोड़े समय में एक चपरासी भी मैनेजिंग डायरेक्टर की योग्यता को प्राप्त कर सकता है। प्रगति के क्षेत्रों में वह यहीं तक नहीं रुका रहा वरन् अपने परिश्रम, लग्न और निरंतर स्वाध्याय से करोड़पति बना, जिसका नाम एंड्रयू कार्नेगी था।
ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Naye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)
