Hindi Motivational Story: स्वामी विवेकानन्द एक बार कहीं जा रहे थे। रास्ते में नदी पड़ी तो वह वहीं रुक गए क्येांकि नदी पार कराने नाव कहीं गई हुई थी। स्वामीजी बैठ कर राह देखने लगे कि उधर से नाव लौटे तो नदी पार की जाए। एकाएक वहाँ एक महात्मा भी आ पहुँचे। स्वामी जी ने अपना परिचय देते हुए उनका परिचय लिया। बातों ही बातों में महात्मा जी को पता चला स्वामी जी नदी किनारे नाव की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
महात्मा जी बोले, “अगर ऐसी छोटी-मोटी बाधाओं को देखकर रुक जाओगे तो दुनियाँ में कैसे चलोगे? तुम तो स्वामी हो, बड़े आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक हो, बड़े आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक माने जाते हो। ज़रा-सी नदी नहीं पार कर सकते? देखो नदी ऐसे पार की जाती है।”
महात्माजी खड़े हुए और पानी की सतह पर चलते हुए लंबा चक्कर लगाकर वापस स्वामीजी के पास आ खड़े हुए। स्वामीजी ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा, “महात्माजी! यह सिद्धि आपने कहाँ और कैसे पाई?”
महात्माजी मुस्कुराए और बड़े गर्व से बोले, “यह सिद्धि ऐसे ही नहीं मिल गई। इसके लिए मुझे हिमालय की गुफाओं में 30 साल तपस्या करनी पड़ी।“ महात्मा की इन बातों को सुनकर स्वामी जी मुस्करा कर बोले, “आपके इस चमत्कार से मैं आश्चर्यचकित तो हूँ लेकिन नदी पार करने जैसे काम जो 2 पैसों में हो सकता है, इसके लिए आपने अपनी ज़िंदगी के 30 साल बर्बाद कर दिए।”
“यानी 2 पैसे के काम के लिए तीस साल की बलि। ये 30 साल अगर आप मानव कल्याण के किसी कार्य में लगाते या कोई दवा खोजने में लगाते, जिससे लोगों को रेाग से मुक्ति मिलती तो आपका जीवन सचमुच सार्थक हो जाता।
ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएं – Naye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)
