neki kaam ki cheez
neki kaam ki cheez

एक बार एक पहुँचे हुए संत ने भिखारी का रूप धारण किया और लोगों की दयाभावना परखने के लिए शहर में घूमने लगे। वह भिक्षा के लिए एक बाल काटने वाले की दुकान पर पहुँचे, जो कि उस समय एक धनी ग्राहक की हजामत बना रहा था।

उसने तुरंत उस धनिक वे उस दिन जो कुछ भी भिक्षा के रूप में उन्हें मिलेगा, वह सब वे उस बाल काटने वाले को दे देंगे।

संयोग से उसी दिन एक अमीर भक्त ने संत को सोने के सिक्कों से भरी एक थैली भिक्षा स्वरूप दे दी। संत ने दुकान पर जाकर अपने निश्चय के बारे में बताते हुए वह थैली उसे दे दी। बाल काटने वाले ने थैली लेने से इनकार कर दिया। और संत थे कि उसे थैली देने की जिद पर अड़े थे। बात बढ़ते-बढ़ते राजा तक गई और उसने सारी बात सुनकर दोनों की बहुत सराहना की। संत को उसने ससम्मान अपना आतिथ्य स्वीकार करने का अनुरोध किया और बाल काटने वाले को अपना विश्वस्त दरबारी नियुक्त किया।

सारः नेक व्यक्ति लोभ में पड़कर अपनी अच्छाई नहीं छोड़ते।

ये कहानी ‘इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानियां पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंIndradhanushi Prerak Prasang (इंद्रधनुषी प्रेरक प्रसंग)