शिशुओं में चकत्ते होने की संभावना होती है, खासकर डायपर वाले क्षेत्र में। गर्मी और उमस के मौसम में चुभन सामान्य हो सकती है। यदि चकत्ते एक दिन से अधिक समय तक बने रहते हैं तो मालिश करने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श करें। पाउडर डायपर क्षेत्र को सूखा रखने में मदद करता है, लेकिन बहुत अधिक पाउडर के उपयोग से बचें, क्योंकि यह बच्चे की त्वचा की परतों में जम सकता है। शिशु की मालिश संभवत: देखभाल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।

अध्ययनों से पता चलता है कि मालिश भावनात्मक बंधन को मजबूत करने में मदद करती है और बच्चे को सुरक्षा व मानसिक कल्याण की भावना देती है। वॢजन ऑलिव ऑयल का कोमल प्रभाव होता है और यह शिशु की त्वचा के लिए अच्छा होता है। तेज सुगंध वाले तेलों का उपयोग बच्चे की त्वचा या बालों पर नहीं किया जाना चाहिए। जैतून का तेल हल्का होता है और जल्दी अवशोषित भी हो जाता है।

मालिश के कई शारीरिक लाभ भी हैं। यह ब्लड सर्कुलेशन जैसे मांसपेशियों को टोन करने और बच्चे के बढऩे में मदद करती है। बच्चे की मालिश करने और स्नान कराने से पहले अपनी अंगुठियों और ऐसी अन्य वस्तुओं को हटा दें, जिनसे बच्चे को चोट पहुंच सकती है। अपने नाखूनों को छोटा रखें। आराम से बच्चों की मालिश करें। बच्चों के पैरों व हाथों को जोर से न खींचें। सभी स्ट्रोक आराम से करें एक लय में, क्योंकि अचानक ङ्क्षखचाव से बच्चा डर सकता है। बच्चे के सिर और चेहरे पर मसाज नहीं करनी चाहिए।

विशेष रूप से पहले कुछ हफ्तों के दौरान, नाभि क्षेत्र के आस-पास देखभाल करें। बुखार या कोई बीमारी होने पर शिशु की मालिश नहीं की जानी चाहिए। इसके लिए पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें। शिशु बहुत सॉफ्ट होते हैं। उनके फाइन हेयर और सॉफ्ट स्कैल्प होते हैं। वे ज्यादातर घर पर होते हैं, इसलिए गर्मियों में सप्ताह में केवल दो बार बाल धोने की आवश्यकता होती है। टीयर्स फ्री माइल्ड बेबी शैम्पू का उपयोग करें, जो आंखों को नहीं चुभता हो। शैम्पू का प्रयोग कम करें और सादे पानी से अच्छी तरह से धोएं। ध्यान रहे कि साबुन का पानी आंखों में न जाए।

बच्चे को नहलाने के बाद बाल धोएं। बाल धोते समय आगे से पीछे तक पानी डालें। यह बच्चे के चेहरे पर नहीं पडऩा चाहिए। कभी-कभी बच्चे के स्कैल्प पर सफेद पपड़ी हो सकती है, जिसे ‘क्रैडल कैप के रूप में जाना जाता है। ये सफेद पपड़ी बच्चे की स्कैल्प से चिपक सकती है। इस सफेद पपड़ी को हाथों से मत हटाएं। बच्चे के बालों को हफ्ते में तीन बार बेबी शैम्पू से धोएं। स्कैल्प पर वर्जिन ऑलिव ऑयल लगाएं। यह सफेद पपड़ी को नरम करने में मदद करता है। फिर शैम्पू से स्कैल्प को धो लें। कॉटन का उपयोग करते हुए इस सफेद पपड़ी को धीरे से हटाने की कोशिश करें। अगर वे अभी भी स्कैल्प से चिपके हुए हैं तो एक या दो दिन बाद फिर से वर्जिन ऑलिव ऑयल लगाएं। यदि स्थिति गंभीर है तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें। कंघी करते समय ध्यान रखें कि बच्चे के बाल उलझे हुए न हों। गोल किनारों या नरम बेबी ब्रश के साथ चौड़े दांतों वाली कंघी का उपयोग करें। बालों में कंघी ऊपर की ओर करें। शिशु की नाजुक त्वचा को सीधे सूर्य के प्रकाश में लाने की सलाह नहीं दी जाती है, विशेष रूप से जन्म के शुरुआती महीनों के दौरान, क्योंकि इससे सनबर्न हो सकता है। धूप में बाहर निकलते समय बच्चे को लंबी आस्तीन वाले कपड़े, पूरी पैंट पहनाएं और टोपी से ढकें। खुली त्वचा पर सनस्क्रीन लगाएं। बच्चों की त्वचा की देखभाल में मॉइश्चराइजिंग महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि शिशु की त्वचा ड्राई होने का खतरा होता है। नहाने के बाद मॉइश्चराइजर लगाने से नमी मिलती है और त्वचा कोमल और हाइड्रेटेड रहती है। आप बेबी लोशन का उपयोग भी जरूर करें।