Sleeping Position Vastu: वास्तु अपने आप में एक व्यापक विषय है जिसे अपना कर व्यक्ति सुखी तथा समृद्ध बनता है। माना कि मनुष्य के लिए कर्म प्रधान है लेकिन मनुष्य के जीवन में बाह्यï वातावरण और संगति का विशेष प्रभाव होता है। हर व्यक्ति रात में आराम से सोना चाहता है। प्रकृति के अनुसार रात्रि सोने के लिए ही बनाई गई है, फिर भी कोई गहरी नींद सोता है तो कोई पूरी रात मुलायम गद्दे तकिये होते हुए भी करवटें बदलते हुए निकाल देता है। इस स्थिति में वास्तु के अनुसार मनुष्य को मधुर निद्रा एवं स्वास्थ्य लाभ के लिए वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर शयन कक्ष की व्यवस्था दी गई है।
जिस प्रकार वास्तु रसोई, स्नानघर, स्टोर, आंगन, द्वार का निर्धारण करता है, उसी कड़ी में उसने सबसे अधिक महत्त्व गृह स्वामी के शयनकक्ष की अर्थात् मास्टर बेडरूम को दिया है। घर के मालिक को घर की धूरी माना गया है, हर मालिक चाहता है कि पत्नी, संतान एवं परिवार उसके आदर्शों का पालन करें, इसलिए गृहस्वामी का निश्चित कक्ष होना अनिवार्य है।
हमारा शयन कक्ष व सोने का तरीका कैसा हो?
उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की निरन्तर चुम्बकीय धाराएं प्रवाहित होती रहती है। पृथ्वी की सभी सजीव-निर्जीव वस्तुएं इन धाराओं के संपर्क में आए बिना या प्रभावित हुए बिना नहीं रहती।
जो व्यक्ति उत्तर की ओर सिरहाना किए हो, उसके दिमाग में ये धाराएं प्रविष्ट होकर उसकी सारी ऊर्जा अपने साथ व्यर्थ ही बहा ले जाती है। यही कारण है कि इस स्थिति में सोने पर हमें अच्छी नींद नहीं आती और अगले दिन हमारा व्यवहार चिड़चिड़ा बना रहता है। इस स्थिति में सोने पर हमारे शरीर का रक्त संचार बहुत प्रभावित होता है। हम उच्च रक्तचाप या निम्न रक्तचाप के शिकार हो जाते हैं। अत: सर्वोत्तम यही होगा कि अनुचित स्थिति सदैव के लिए त्याग दें।
द्य सोने की सबसे उत्तम स्थिति है- उत्तर की ओर पैर और दक्षिण की ओर सिरहाना। ऐसी स्थिति के पीछे भी दोनों कारण है- आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक। आध्यात्मिक कारण यह है कि यदि कोई व्यक्ति उत्तर की ओर पैर करके सोता है तो उसे ऐसा प्रतीत होता है कि वह उत्तर के स्वामी कुबेर की शरण में आ रहा है, जहां उसे आर्थिक लाभ प्राप्त होंगे।

- मास्टर बेडरुम नैऋत्य कोण अर्थात् दक्षिण-पश्चिम में होना चाहिए। यह शक्ति का संचय एवं स्थिरता देने वाला है।
- पलंग का सिरहाना सदैव दक्षिण दिशा में होना चाहिये परिस्थिति विशेष हो तो पश्चिम में भी किया जा सकता है। मान्यता है कि प्रात: जागते ही प्राणी के लिए शुभ प्रभात कहा जाता है, जब मनुष्य पूर्व दिशा में सिर कर सोयेगा तो जागते समय उसका मुंह पश्चिम दिशा में होगा और पश्चिम में शुभ प्रभात का वर्णन नहीं मिलता। शास्त्रों में कहा गया है, उत्तर की ओर मुंह करके जो भी मांगा जाय या योजना बनाये वो सुनिश्चित सफल होती है, जबकि पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके मांगने से आसुरी शक्तियां प्रसन्न होती है।
- बेडरूम के दक्षिण और पश्चिम के कोने में तिजोरी या अलमारी रखी जानी चाहिए जिसमें कि आभूषण, रुपया-पैसा रखा जाता हो और अलमारी का मुंह उत्तर दिशा में खुलता हो।
- पत्नी को स्वयं के बांयी ओर होना चाहिए जिससे विचारों मेें समानता रहे। जहां पत्नी-पति के दांयी ओर सोती हो वहां पति-पत्नी में वैचारिक मतभेद होते हैं और पत्नी पति की योजना एवं विचारों में व्यर्थ तर्क-कुतर्क, दखल अंदाजी करती है।
- दक्षिण और पूर्व में टी.वी., हीटर या लाल बल्ब लगाना शुभ है जिससे आलस्य का संचार नहीं होगा।
- इस कक्ष में कभी भी जूता स्टैंड आदि नहीं रखें। ड्रेसिंग टेबल पूर्व-उत्तर के कोने में हो।
- बेडरुम का एक ही द्वार होना चाहिये जो पूर्व या उत्तर दिशा में खुलता हो। एक और द्वार की आवश्यकता हो तो उत्तर या पूर्व के कोने में भी रखा जा सकता है।
- पूर्व या उत्तर के कोने में ईश्वर का स्थान निश्चित करें और उस स्थान पर एक भरा हुआ जल पात्र रखें।
- बेडरूम की दीवारें यथासंभव नीले रंग की हो चाहे मालिक की राशि, लग्न कोई भी हो।
- गोपनीय सूत्र के अनुसार मास्टर बेडरुम में बाहर के आगंतुकों का प्रवेश वर्जित है।
- समुद्र में पायी जाने वाली सीपियों का भी शयन कक्ष में महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। बाजा में सीप में बने सजावटी आइटम मिलते हैं जो दरवाजे पर सजाये जा सकते हैं या फिर शयन कक्ष में लगाये जा सकते हैं। यह सीपों से बनी वस्तुएं पति-पत्नी के बीच फैले मनमुटाव व मतभेदों को दूर कर दोनों में स्नेह उत्पन्न करते हैं और नयी उत्तेजना का संचार करते हैं।
- शयन-कक्ष के लिए मकान के वे ही कमरे शुभ और श्रेष्ठ होते हैं, जो मकान के पिछले हिस्से में होते हैं या ऊपर वाले तल पर होते हैं। शयन-कक्ष किचन के पास भी नहीं होने चाहिए और मकान के मध्य वाले हिस्से में भी नहीं होने चाहिए। किसी भी कक्ष के लिए मकान का मध्य भाग वर्जित है।
- अपने शयन कक्ष के दक्षिणी पश्चिमी भाग को सक्रिय बनाने के लिए हवा से हिलकर बजने वाले शीशे के उपकरण लगायें। यह उपकरण दक्षिणी-पश्चिमी भाग पर ही लगना चाहिए। इससे वैवाहिक जीवन में मिठास आती है और वैचारिक तालमेल भी बना रहता है।
- मकान के दक्षिणी भाग में आपका शयन-कक्ष है तो यह आपके लिए बेहतर है क्योंकि यह स्थान जोश और खुशी का स्थान है। यहां रहने वालों के शारीरिक संबंध काफी फलते-फूलते हैं। यहां नव-विवाहितों का शयन-कक्ष होना चाहिए, क्योंकि उन्हें ऐसी ही जगह की तलाश होती है।
- बेडरूम के दरवाजे की सीध में पांव करके सोना अशुभ होता है। किसी भी भवन, फैक्टरी या कमरे का दरवाजा बाहर से आने वाली प्राणिक ऊर्जा का मार्ग होता है। दरवाजे के सामने पैर करके सोने वालों के स्वास्थ्य पर इसका गलत प्रभाव पड़ता है।
- अपने बेडरूम के दरवाजे सही हालत में रहें, क्योंकि भद्दी सी आवाज करते हुए खुलने-बंद होने वाले दरवाजे, टूटे हत्थे वाले दरवाजे, बंद या खोलते समय जोर लेने वाले दरवाजे मन में खीझ को उत्पन्न करते हैं और इसमें नकारात्मक ऊर्जा भी उत्पन्न होती है।
- बेडरुम से बाथरूम जुड़ा होने पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह प्रदान करता है। इसमें बाहर की ताजी हवा का प्रवेश बहुत ही जरूरी है और अंदर की खतरनाक गैस का बाहर निकलना भी उतना ही जरूरी है। नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को रोकने के लिए बाथरूम में एक्जास्ट फैन लगायें।
- यदि सोते समय व्यक्ति का सिर दक्षिण की ओर पैर उत्तर की ओर हो तो उत्तरी ध्रुव से प्रवाहित होने वाली चुम्बकीय धाराएं पैरों में से प्रविष्ट होकर संपूर्ण शरीर की ऊर्जा संग्रहित करेगी। इससे सोया व्यक्ति अगले दिन स्फूर्तिवान बना रहेगा।
- इसके अलावा पूर्व में भी सिरहाना करके सोना उत्तम माना गया है। परंतु पश्चिम में सिरहाना नहीं किया जाना चाहिए। पश्चिम में सिरहाना करने से रोगों तथा संतान कष्ट के योग बनते हैं। अत: सोते समय इन सभी बातों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना चाहिए।
- आग्नेय या ईशान में कभी भी शयन कक्ष नहीं बनाया जाना चाहिए। ऐसा करने से पति-पत्नी में तनाव बढ़ता है। सुंदर चित्रों एवं तस्वीरों को शयनकक्ष की उत्तरी या पूर्वी दीवार पर स्थान मिलना उचित रहता है।
- जो लोग ईशान कोण यानि उत्तर-पूर्व दिशा के कमरे को अपना बेडरूम बनाते हैं और वहां पर हर तरह के क्रिया-कलाप संपन्न करते हैं, वे नाना प्रकार के रोगों के शिकार होकर कष्ट भोगते हैं। इस दिशा के कमरों में बच्चों को सुलाइए या पूजा घर यहां बना दीजिए। यह कोना भवन का पूजनीय और पवित्र स्थान होता है।
- शयन कक्ष में खुशबू का भी महत्त्व है। खुशबू वातावरण को खुशगवार बनाती है। लुभावनी जिंदगी के लिए एरोमाथेरेपी ऑयल्स या खुशबूदार मोमबत्तियों का प्रयोग करें। तकिया और बिस्तर पर भी इत्र का छिड़काव करना बेहतर होता है।
- गलत स्थान और बीम के नीचे सोने पर विभिन्न रोगों की उत्पत्ति होती है, जिनमें एक सिरदर्द भी है।
आशा है कि आप इन छोटे-छोटे नियमों को ध्यान में रख स्वयं को सुखी, समृद्ध एवं प्रसन्न महसूस करेंगे, संबंधों में माधुर्यता लायेंगे। यह उपाय दिखने में छोटे लगते हैं परंतु इनका प्रभाव बहुत बड़ा होता है। चैन की नींद सोने के बाद ही व्यक्ति सफलता के लिए आगे बढ़ सकता है, नयी स्फूर्ति और जोश के साथ कुछ सोच समझ सकता है। अत: आपको चाहिये कि इन नियमों को अपनायें और चैन की नींद सोयें।
हमारा शयन कक्ष व सोने उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव की निरन्तर चुम्बकीय धाराएं प्रवाहित होती रहती
