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प्रेम जोड़ता है अहंकार तोड़ता है – परमहंस योगानंद

मन अहंकार का एक अंग है जिसे पता है कैसे बन्द हुआ जाए परन्तु उसे खुलना कैसे है यह पता ही नहीं है। प्रेम करने का अर्थ खुलना, समर्पण करना है।

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