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निर्मला-मुंशी प्रेमचंद भाग – 8

उस दिन से निर्मला का रंग-ढंग बदलने लगा। उसने अपने को कर्त्तव्य पर मिटा देने का निश्चय कर लिया। अब तक नैराश्य के संताप में उसने कर्त्तव्य पर भान ही नहीं दिया था। उसके हृदय में विप्लव की ज्वाला-सी दहकती रहती थी, जिसकी असह्य वेदना ने उसे संज्ञाहीन-सा कर रखा था। निर्मला नॉवेल भाग एक […]

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