घर में एक बच्चे का जन्म उसके माता-पिता के अलावा अन्य लोगों के लिए भी कुछ ख़ास होता है। बच्चे के जन्म के साथ ही घर में गूंजने लगती हैं उसकी किलकारियां और पूरा माहौल खुशनुमा हो जाता है। इसके साथ ही शुरू हो जाती हैं कुछ हिदायतें ,कुछ सुझाव और कुछ नई ज़िम्मेदारियां जो […]
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स्नेह का बंधन मां और बच्चे का रिश्ता
आपकी नजरों में सबसे खूबसूरत रिश्ता कौन सा है? अगर यह सवाल मैं आपसे पूछूं तो आप सब बिना सोचे एकदम जवाब देंगे- ‘मां और बच्चे का रिश्ता! जी हां! जीवन का सबसे खूबसूरत व सबसे अनमोल रिश्ता यही है! बिना किसी स्वार्थ भावना के, एक मां हर दिन सिर्फ अपने बच्चे का विकास, उसके स्वास्थ और उसके पोषण के लिए ही सोचती है।
मां की जान की बाज़ी होता है शिशु का जन्म
मई के महीने में 8 तारीख़ का अपना अलग ही महत्त्व होता है। 8 मई, यानी मदर्स डे। पूरी दुनिया में इस दिन को खास एहसास से जोड़ा जाता है। यूं तो स्त्री का हर रूप ही अपनी मिसाल आप है, फिर भी मां के रूप को ईश्वर का दूसरा रूप कहा जाता है, क्योंकि ईश्वर से मिली जि़ंदगी को जन्म वही देती है। एक बच्चे को जन्म देने के लिए औरत अपनी जान तक को जोखिम में डालती है, इसलिए तो कहा जाता है कि एक बच्चे के जन्म के साथ उस मां को भी दूसरा जीवन मिलता है।
अब शिशु का डायपर चेंज करना हुआ आसान
नवजात को एक दिन में कई डाइपर की जरूरत होती है। शिशु डायपर को जल्दी-जल्दी गीला भी करते हैं, इसलिए उन्हें बार-बार डायपर बदलने की जरूरत भी पड़ती है। आपने बहुत से पेरेंट्स को यह शिकायत करते पाया होगा कि उनका नवजात डायपर बदलने के दौरान बहुत परेशान करता है। कई शिशु तो डायपर चेंज करने के दौरान रोने भी लगते हैं। निसंदेह शिशुओं को ज्यादातर समय डायपर पहनाने की जरूरत होती है।
कैसा हो शिशु-आहार
शिशु की निर्भरता यूं तो मां के दूध पर ही सबसे ज्यादा होती है, लेकिन समय बीतने के साथ उसे वैकल्पिक आहार देना शुरू करना भी ज़रूरी होता है। इसी बारे में कुछ अहम जानकारी-
माँ से सुपर माँ तक का सफर
जब एक लड़की मां बनती है, तो वह अहसास अलग ही होता है। उस पल को बस वो अपने यादों में बसा लेती है। पहले की मां की बात की जाए तो वह अपना सारा समय अपने बच्चों के साथ बिता देती थी।
