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नीलकंठ-गुलशन नन्दा भाग-12

सवेरा होते ही वह सीधा रायसाहब के यहाँ पहुँचा। आज वह अपना निर्णय कर ही देना चाहता था। वहाँ रायसाहब और मालकिन चिंता में खोए गोल कमरे में बैठे थे। संध्या बालकनी की सीढ़ियों पर सिर झुकाए बैठी थी। कुछ देर तक तीनों में से किसी ने आनंद को न देखा। हर ओर चुप्पी-सी थी। […]

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