शाम हो चुकीथी। ठंडी हवा चल रही थी। घर की खिड़कियों में पर लगे वो हल्के पीले रंग के पर्दे उड़ने लगे थे। बाहर बालकनी में लगे मनीप्लांट की बेल भी मानो हवा का आनंद ले रही हो। तुलसी का कोमल पौधा तेज़ हवा को सहन नहीं कर पा रहा था। तभी सुधाजी तेज क़दमों से आई और तुलसी के पौधे को भीतर ले गई।
