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‘‘ जीवन की वर्तनी ’’- गृहलक्ष्मी की कहानियां

वह रविवार की एक अलसाई सी सुबह थी ।  जब मेरी छोटी बुआ का लड़का केशव अचानक मुझे फोन किया कि वह पटना में ही है, और थोड़ी ही देर में मुझसे मिलने और अपनी बेटी नेहा की शादी का निमंत्रण पत्र देने मेरे घर आ रहा है । मुझे अपनी कानों पर विश्वास नहीं […]

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ओस की बूंद – गृहलक्ष्मी की कहानियां

दिसंबर का महीना था। मौसम शरारतों पर आमादा था। कभी बारिश, कभी गुनगुनी धूप तो कभी ठंडी हवाएं। आज वह काफी जल्दी उठ गई थी। कुछ दिनों से न जाने क्यों उसकी  नींद भी बेचैन थी। बाहर बालकनी में बैठी वह सामने लगे छोटे-छोटे पेड़ पौधों को निहार रही थी। ओस की नन्ही-नन्ही बूंदें पत्तों पर इतराती और पत्तों […]

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