महिलाओं के प्रति समय के साथ-साथ समाज का भी नजरिया बदला लेकिन वो आदत नहीं बन पाया। उसे घर से बाहर जाने की छूट तो मिली लेकिन एक सवाल के साथ… “वहां क्या कर रही थी तुम ?” उसे सपनों को पूरा करने की हामी तो मिली लेकिन एक सीमा तय कर दी गई… “बिटिया पहले शादी कर लो बाद में पढ़ लेना”। वजह कुछ भी हो लेकिन महिलओं को हमेशा सवालों के घेरे में ही रहना पड़ता है। उसकी मानसिक पीड़ा को शायद उससे बेहतर कोई नहीं समझ पाता। हर वक्त हर घड़ी उसे समाज के इन तानों का सामना करना पड़ता है –
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