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क्यों रखते हैं रविवार का व्रत?

एक बुढ़िया थी। वह प्रत्येक रविवार को सवेरे ही गोबर से घर लीपकर, स्नान आदि कर भगवान की पूजा करती। भगवान को भोग लगाकर स्वयं भोजन करती थी। भगवान की कृपा से उसके घर में सब प्रकार का सुख चैन था। उसकी पड़ोसन जिसकी गाय का गोबर लीपने के लिये वह बुढ़िया लाती थी, उस बुढ़िया की सम्पन्नता से जलने लगी। यह सोचकर कि यह बुढ़िया मेरी गाय का गोबर ले जाती है, वह अपनी गाय को घर के भीतर बांधने लगी।