Posted inहिंदी कहानियाँ

वीरा या प्रेरणा – गृहलक्ष्मी कहानियां

सुबह शायद चार बजे थे वीरा को नींद नहीं आ रही थी । बार बार सोने की कोशिश करती, पर नींद थी कि उसका दूर दूर तक कहीं पता न था । मन में अनेक संकल्प चल रहे थे कि उठ कर कुछ पढ़ लूं या कुछ व्यायाम ही कर लूं। वीरा को सुबह सुबह प्राणायाम करने की आदत थी । पिछले तीस सालों से यह सिलसिला चालू था । पर अभी तो रात के दो ही बजे थे। इतनी सुबह उठ गयी तो दिन भर थकावट लगती रहेगी । यही सोच बिस्तर पर पिछले एक घंटे से करवटें बदल रही थी ।

Posted inकविता-शायरी

नारी के सवाल अनाड़ी के जवाब

यदि आपके सवाल को अनाड़ी जी देते हैं पहला, दूसरा व तीसरा स्थान तो आप पा सकते हैं प्रोफेसर अशोक चक्रधर की हस्ताक्षरित पुस्तकें। भाग लीजिए और इनाम पाइए।

Gift this article