Summary: जनेऊ धारण का धार्मिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व
जनेऊ धारण करना हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण संस्कार है, जो धार्मिक, वैज्ञानिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। यह त्रिमूर्ति, पंचतत्व और नौ ग्रहों से जुड़ा पवित्र सूत्र आत्मअनुशासन और ज्ञान की दिशा में पहला कदम माना जाता है।
Why Janeu is Worn: हिन्दू धर्म में कई तरह के संस्कार होते हैं और सभी संस्कार का अपना अलग-अलग महत्व होता है। इन सभी संस्कारों में से ही एक संस्कार ‘उपनयन संस्कार’ है, जिसमें जनेऊ पहना जाता है। इस संस्कार को ‘यज्ञोपवीत संस्कार’ भी कहा जाता है। इस संस्कार में मुंडन और पवित्र जल में स्नान करना सबसे अहम होता है।
क्या होता है जनेऊ?

जनेऊ को संस्कृत भाषा में ‘यज्ञोपवीत’ कहा जाता है। यह तीन धागों से बना एक पवित्र धागा होता है, जिसे व्यक्ति बाएं कंधे के ऊपर तथा दाईं भुजा के नीचे पहनता है। जनेऊ के तीन सूत्र में त्रिमूर्ति ब्रह्माजी, श्री विष्णु और महेश के प्रतीक होते हैं। साथ ही ये तीन सूत्र गायत्री मंत्र के तीन चरणों और आश्रमों के भी प्रतीक मने जाते हैं। जनेऊ में मुख्य रूप से 5 गांठ लगाई जाती है, जो ब्रह्म, धर्म, अर्ध, काम और मोक्ष का प्रतीक माना जाता है। ये 5 गांठें 5 यज्ञों, 5 ज्ञानेद्रियों और पंच कर्मों के भी प्रतीक माने जाते हैं।
क्या है जनेऊ का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

हिन्दू धर्म में प्रत्येक पुरुष का कर्तव्य होता है कि वह जनेऊ धारण करें और जनेऊ से जुड़े सभी जरूरी नियमों का भी पालन करे। जनेऊ धारण करने के बाद ही द्विज बालक को यज्ञ और स्वाध्याय करने का अधिकार प्राप्त होता है। जनेऊ धारण करने के कई लाभ होते हैं। धार्मिक रूप से नित्यक्रम से पहले जनेऊ को कानों पर कस कर दो बार लपेटना जरूरी होता है। दरअसल ऐसा करने से कान के पीछे की दो नसें, जिनका संबंध पेट की आंतों से होता है, उन आंतों पर दबाव पड़ता है, जिससे वे पूरी तरह से खुल जाती है और मल त्यागने में आसानी होती है। साथ ही जनेऊ धारण करने से व्यक्ति को बुरे सपने आने की समस्या से छुटकारा भी मिल जाता है।
क्या है जनेऊ धारण करने की सही उम्र
जनेऊ के लिए बालक का उपनयन संस्कार उसके जन्म के बाद आठवें वर्ष में धारण करना अच्छा माना जाता है। जनेऊ धारण करने के बाद ही विद्यारंभ होना जरूरी होता है, लेकिन आज के समय में गुरु परंपरा समाप्त हो गई है, इसलिए कुछ लोगों में विवाह के पूर्व जनेऊ पहनाई जाती है। हिन्दू धर्म में विवाह तब तक पूर्ण नहीं माना जाता है, जब तक पुरुष के द्वारा जनेऊ धारण नहीं किया गया हो।
जनेऊ से जुड़ी कुछ जरूरी बातें

- जनेऊ में कुल 9 लड़ें होती हैं जो सभी 9 ग्रहों का प्रतिनिधित्व करती हैं और ऐसा माना जाता है कि जनेऊ धारण करने से सभी 9 ग्रह प्रसन्न रहते हैं।
- जनेऊ धारण करने के कई लाभ भी हैं, जैसे ब्लड प्रेशर में सुधार होता है और पेट से जुड़ी सभी रोगों से बचाव होता है। साथ ही इससे ज्ञान और बुद्धि में भी वृद्धि होती है।
- जनेऊ धारण करने के बाद व्यक्ति के अन्दर आत्म-अनुशासन और जिम्मेदारियों को अच्छे से पूरा करने की हिम्मत आ जाती है।
- अगर जनेऊ का कोई भी धागा टूट जाए तो इसे तुरंत बदल लेना चाहिए। साथ ही पुराने जनेऊ को तभी उतारना चाहिए, जब आप नया जनेऊ धारण कर लें।
