आज के समय में हर एक इंसान की इच्छा अपने मकान या प्लॉट की जरूर होती है। अच्छे मकान या प्लॉट को चुनते वक्त व्यक्ति अपनी जमा पूंजी खर्च करता है। लेकिन कई बार प्लॉट खरीदते वक्त वास्तु शास्त्र के नियमों की अनदेखी भी कर देता है, जिससे बाद में उसे तमाम तरह की परेशानियों को सामना करना पड़ता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार प्लॉट खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर देना चाहिए।

इसकी शुरुआत शुभ भूमि से होती है। हर इंसान चाहता है कि उसका घर शुभ और भाग्यशाली हो। घर भूमि पर ही बनाया जाता है, इसके लिए एक शुभ भूमि ढूंढ़ना और खरीदना अनिवार्य है।

प्लाट का चयन करते समय कुछ वास्तु नियामों का पालन करना बेहद आवश्यक है-

  • सबसे पहले देखें कि प्लाट का आकर कैसा है। ये चौरस या आयत (रेक्टेंगल) होना चाहिये और इसके चारों कोने समकोण होने चाहिए। इसकी लम्बाई या चौड़ाई का अनुपात डेढ़ से ज़्यादा न हो तो बढ़िया है। 
  • प्लाट लेने से पहले जान लें कि उसका स्तर सड़क के स्तर से ऊंचा हो। अगर ऐसा नहीं है तो कम से कम सड़क के स्तर से नीचे न हो। प्लाट का स्तर अगर सड़क के स्तर से काफी नीचे हो तो ऐसा प्लाट न खरीदें। अगर प्लाट का स्तर सड़क के स्तर जितना हो तो कुछ मिट्टी का भराव करवा कर इसे ऊंचा करवा लें।
  • प्लाट के बगल में, या बहुत नजदीक में कोई कब्रिस्तान या शमशान भूमि बिलकुल नहीं होनी चाहिए। बगल वाले प्लाट में कोई सार्वजनिक मंदिर या अस्पताल भी नहीं होना चाहिए। बगल वाले प्लाट में कोई जानवर का कतल खाना भी नहीं होना चाहिये।
  • प्लाट के स्तर को बढ़ाते समय मिट्टी के साथ सूखा गोबर मिलवा कर डलवाएं, इससे भूमि में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। यह एक बहुत ही अच्छा उपाय है, इसका प्रयोग ज़रूर करें। इस काम के लिए ध्यान रहे की केवल देसी भारतीय मूल की गाय के गोबर का प्रयोग हो। भैंस या जर्सी गाय के गोबर का प्रयोग कदापि न करें।
  • प्लाट के अंदर कोई कुआं या बोरवेल हो तो ध्यान रहे वे प्लाट के उत्तरी हिस्से, ईशान्य (उत्तर पूर्व) या पूर्वी हिस्से में ही हो। 
  • प्लाट खरीदते समय सबसे ज़्यादा महत्त्वपूर्ण बात है उसकी दिशा। सबसे उत्तम प्लाट, सीधे दिशा के उत्तर मुखी और पूर्व मुखी माने जाते हैं।  यानी की रोड प्लाट की उत्तर की तरफ या पूर्व की तरफ या दोनों तरफ हो। अगर विदिशा या क्रॉस दिशा का प्लाट है तो केवल ईशान्य मुखी यानी की उत्तर-पूर्व मुखी प्लाट ही अच्छे माने जाते हैं। बाकी सारी क्रॉस दिशाओं वाले प्लाट न खरीदे तो बेहतर है। 
  • अगर प्लाट पर सामने की सड़क आ रही है, जिसे विधि शुला कहते हैं, तो ध्यान में रखिये कि वह उत्तर पूर्वी हिस्से में उत्तर से या पूर्व से आ रही हो। इसके अलावा बाकी तरह की विधिशुला या तो खराब या मध्यम श्रेणी की होती हैं। खराब श्रेणी की विधिशुला वाला प्लाट कदापि न खरीदें क्योंकि वह अत्यंत बुरे परिणाम दे सकता है। 
  • प्लाट के उत्तर में या पूर्व में अगर पानी का तालाब हो या नदी हो तो यह बोहत शुभ माना जाता है। पानी का तालाब या नदी प्लाट के उत्तर पूर्व (ईशान्य)में भी शुभ मानी जाती है । प्लाट के नैरूत्य  में या दक्षिण में अगर कोई पहाड़ हो तो यह बोहत शुभ माना जाता है।  प्लाट के अंदर की ज़मीन का स्तर उत्तर में नीचे और दक्षिण की तरफ ऊँचा बहुत अच्छा माना जाता है।  और वही अगर प्लाट की अंदर की ज़मीन का स्तर पूर्व में नीचे और पश्चिम में ऊंचा हो तो यह भी भाग्यशाली ही होता है । क्रॉस दिखा या विदिशा वाली भूमि में नीचा उत्तर पूर्व (ईशान्य) और नैरूत्य में ऊंचा अच्छा माना जाता है। 
  • जिस जमीन को खरीदना या फिर उसमें निर्माण करवाना हो वहां पर भूमि में एक हाथ लंबा और एक हाथ चौड़ा गड्ढा बना लें। इसके बाद उसमें मिट्टी से पत्थर निकाल कर अलग रखें। इसे खोदने के बाद एक बार फिर इस गड्ढे को उसी मिट्टी और पत्थरों से भर दें। यदि खोदी गई जगह पर मिट्टी पहले के मुकाबले बढ़ जाए तो वह भूमि शुभ मानी जाती है जबकि बराबर होने पर सम और कम पड़ने पर हानिकारक मानी जाती है।
  • किसी भी भूमि के वास्तु दोष को पानी के प्रयोग से भी जांचते हैं। इसके लिए खरीदी जाने वाली भूमि या फिर निर्माण की जाने वाली भूमि पर निर्माण करने से पहले एक हाथ लंबा और एक हाथ चौड़ा गड्ढा खोद लें। इसके बाद उस गड्ढे को पूरा पानी से भर दें। उस समय यदि वह पानी जैसा का तैसा बना रहे तो समझिये कि वह भूमि शुभ है लेकिन यदि उसी समय वह भूमि पूरा पानी सोख ले तो उसे अशुभ मानना चाहिए।

ऐसी सीधी और सरल जानकारी से आप एक अच्छा प्लाट खरीद सकते हैं। अब प्लाट पर शुभ मकान कैसे बनायें, ये हम आपको आगामी अंको में ज़रूर बताएंगे।

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