Yulla Kanda Trek
Yulla Kanda Trek

Yulla Kanda Trek: खुद में इतिहास को समेटे हुए प्राचीन मंदिर, बर्फ से लदे उंचे उंचे पहाड़ और खूबसूरत वादियां से घिरे हिमाचल प्रदेश में सालभर पर्यटकों का आवागमन रहता है। अपने धार्मिक स्थलों के लिए मशहूर हिमाचल का युला कुंडा मंदिर में भक्तों की अटूट श्रृद्धा है, जो बड़ी तादाद में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। विशेष तौर से जन्माष्टमी के दौरान इस मंदिर में भक्तों की खासी भीड़ जुटती है। किन्नौर की रोराघाटी में स्थित युला कुंडा झील के बीचोंबीच बने इस मंदिर में सैलानी ट्रेकिंग के जरिये पहुंचते हैं।

शिमला से युला कुंडा तक की ट्रेकिंग

शिमला तक आप किसी भी यातायात के साधन का इस्तेमाल करके आसानी से पहुंच सकते हैं और यहां से युला की दूरी करीबन 200 कि.मी. है। युला कुंडा तक ट्रेकिंग शुरू करने से पहले आपको शिमला से किन्नौर में स्थित टापरी तक का रास्ता तय करना होगा। टापरी पहुंचने के बाद तीन किलोमीटर तक पैदल चलकर आप ट्रेकिंग के बेस कैम्प तक पहुंच पाएंगे। अगर आप जल्दी पहुंच जाते हैं, तो आप आसपास की जगहों और प्रकृति के खूबसूरत दृश्यों का आनंद उठा सकते है। इसके अलावा ट्रेकिंग आरंभ करने से पहले ट्रेकर्स बेस कैम्प में ही रात गुजार सकते हैं। हालांकि शिमला से युला की कुल दूरी करीब 7 घंटे की है।

युला कुंडा से जुड़ी पौराणिक कथा

Yulla Kanda Trek
Mythology related to Yulla Kunda

11 किलोमीटर की ट्रेकिंग तय करके युला कुंडा झील पहुंच सकते है, जहां झील के मध्य स्थित बना कृष्ण मंदिर हर ओर फैली शांति और भक्तिमय माहौल से लोगों का मन मोह लेता है। ट्रेकिंग के दौरान पर्यटकों को घने जंगल, बर्फ से ढके पहाड़ और हर ओर हरियाली का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। ऐसी मान्यता है कि पाण्डवों ने वनवास के दौरान इस मंदिर का निर्माण करवाया था। झील के बींचों बीच बने कृष्ण मंदिर से टंगी बौद्ध धर्म की पवित्र पताकायें उस स्थल को पूजनीय व दिव्य बना देती हैं। वर्षों से इस मंदिर में गहरी श्रद्धा रखने वाले भक्तों और पुजारियों का मानना है कि इस झील का पानी किसी औषधि से कम नहीं है और यहां डुबकी लगाने मात्र से ही मन को शांति मिलती है।

किन्नौरी टोपी उल्टी करने की प्रथा

Yulla Kanda Trek
Kinnauri cap vomiting practice

जन्माष्टमी के अवसर पर इस मंदिर में एक खास प्रथा का प्रचलन है, और कहा जाता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसी मान्यता है है कि यहां पर श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए किन्नौरी टोपी उल्टी करके झील में डालते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कि अगर आपकी टोपी डूबे बिना दूसरे छोर तक पहुंच जाती है तो मनोकामना पूरी हो जाती है और आगामी साल भी खुशहाली लेकर आता है।

ट्रेकिंग का लुत्फ

इस इलाके में ट्रेकिंग का लुत्फ उठाने के लिए आप झील की पूर्व दिशा में बसे रोरा कुंड की ओर बढ़े। यहां पर ट्रेकर्स दिल खोलकर  कैम्पिंग का मजा भी ले सकते हैं। गौरतलब है कि रोरा कुंड समुद्री सतह से करीबन 3900 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हालांकि बर्फबारी के चलते कई महीना तक तीर्थस्थल बंद रहता है। मगर उस दौरान माउंटेन क्लाइंबर्स वहां पहुंचते हैं।

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