Dream World Dubai: सोचा नहीं था कि ऐसी सपनीली रंगीली दुनिया भी कहीं होती है। बेहद भव्य था गहरे नीले समुद्र, रेगिस्तान, चका-चौंध कर देनेवाली रोशनी और भव्य इमारतों वाले आकर्षक दुबई का नज़ारा। आसमान छूती इमारतें और खजूर के पेड़ों से घिरा दुबई मुझे भी मंत्रमुग्ध कर गया। इसकी निराली चमक-दमक में कोई भी अपने गम भुला सकता है। दुबई ऐसा शहर है जहां एक ओर समुद्र हैं तो वहीं दूसरी ओर रेगिस्तान भी है। दक्षिण में अबू धाबी, पूर्वोत्तर में शारजाह और दक्षिण पूर्व में ओमान।
इस कार्यक्रम के दौरान ई टिकट, वीज़ा, होटल की बुकिंग और टिकट को लेकर अनेक दिक्कतें आईं, यहाँ तक कि एयरपोर्ट पर जाते वक्त भी हमारे पास पक्के टिकट नहीं थे। लेकिन अंतिम क्षणों में हमको सीट मिल गई और हम पहुँच गए सपनों के देश दुबई। इस यात्रा में मेरी बहन, मेरी माँ, मेरी बेटी और मैं यानी हम चार थे। हमारे पास दुबई की मुद्रा नहीं थी, इसलिए हमने अपनी मुद्रा दुबई एयरपोर्ट पर ही दिरहम में बदलवा ली।

दुबई पहुँचकर हम बेहद खुश थे लेकिन हमारी इस खुशी को हल्का ब्रेक तब लगा जब हमारे लिए कोई टैक्सी नहीं रुकी। जो भी टैक्सी सामने आती, हमें कभी पीछे वाले की ओर तो कभी अगली पंक्ति की ओर इशारा करके आगे बढ़ जाती। करीब 20 मिनट वहीं खड़े रहने के बाद हमें टैक्सी मिली। इसी टैक्सी वाले ने बताया कि यहाँ एयरपोर्ट पर टैक्सीवाले भारतीयों को ले जाना पसंद नहीं करते क्योंकि भारतीयों के मुकाबले अमरीकन या अंग्रेजों से उन्हें ज्यादा पैसे मिल जाते हैं। यह सही था क्योंकि भारतीय रुपये के हिसाब से दुबई काफी महंगा है जबकि डॉलर के नजरिये से काफी सस्ता है और भारतीय टिप देने के मामले में कंजूस भी होते हैं।
हमारा होटल नजदीक ही था पर एयरपोर्ट टैक्सी काफी महंगी, यानी होटल तक जाने में 50 दिरहम लगे। जो हमारे 750 रुपये के आसपास होते हैं। होटल की बुकिंग ऑनलाइन करवाई थी तो डरते डरते होटल पहुँचे लेकिन यह डर पल भर में काफूर हो गया जब रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने मुझे देखकर मेरा नाम लेते हुए कमरे की चाबी थमा दी। रही सही आशंका कमरा देखते ही गायब हो गई। इतना सुंदर और बड़ा कमरा देखकर सारी थकान भी उड़नछू हो गई। मेरी बेटी पाखी ने जल्दी से कपड़े बदल कर तुरंत एक बैड हथिया लिया और सो गई। हम लोगों ने भी अपना सामान अगले चार दिनों के लिए कमरे में जमा लिया।

अगले दिन सुबह तैयार होकर होटल से निकले तो हमें ठीक ठीक नहीं पता था कि हमें किस ओर जाना है इसलिए सबसे पहले मैने दुबई में रहने वाले एक मित्र को फोन मिलाया और वहाँ की कुछ जानकारी ली। हमारे पास वक्त बहुत कम था और घूमने की लिस्ट काफी लम्बी। तय किया कि सबसे पहले दुबई स्थित सोने की दुनिया ही घूमी जाए। मित्र से रास्ता पूछकर पहले टैक्सी और फिर एक नौका से समुद्र पार कर हम दुबई के सोने के बाजार गोल्डसोख पहुँच गए। लेकिन वहाँ पहुंच कर जो नज़ारा देखा, उसे वर्णन से ज्यादा तस्वीर से समझा जा सकता है। एक एक दुकान पर इतना सोना लदा हुआ हमने पहली बार देखा था। खास बात यह थी कि इस बाजार में कोई भी सुरक्षाकर्मी हमें नजर नहीं आया जैसा कि अमूमन भारत में देखा जाता है। सोने की नगरी जाने से पहले ही हमने अगले तीन दिनों का कार्यक्रम तय करके बुकिंग करा ली थी जिसके अनुसार उसी दिन हमें क्रूज़ पर जाना था। गोल्डसोख से वापस आते आते हमें शाम के सात बज गए थे और हमें टैक्सी नहीं मिली तो हम पैदल चलते चलते ही क्रूज़ पर पहुँचे था।

क्रूज़ के लिए हम क्रीक पर पहुँचे तो नज़ारा बेहद भव्य था। किनारे किनारे कतार में जहाज़ खड़े थे, सजे धजे और चमक दमक से भरे। हम थक गए थे लेकिन हमारा जहाज सुल्तान सबसे पीछे खड़ा था। जहाज में चढ़कर खुले आकाश के नीचे रखी टेबल पर बैठकर हमारी थकान भी दूर हो गई। कुछ ही समय के बाद जहाज चल पड़ा और हम इंतजार करने लगे बताए गए मनोरंजक कार्यक्रमों का। कुछ ही देर में हमें घुंघरू की आवाज़ सुनाई पड़ी और फिर एक पुरुष भारी सा घाघरी पहन कर सामने आ गया। उसने जो नृत्य दिखाया उसे अरब का तमूरा ऩृत्य कहा जाता है जिसे पुरुष करते हैं। इसमें कुछ कुछ जादू का भी समावेश होता है क्योंकि उसके पास पहले एक ही ढपली थी जिसे उसने अनेक बना दी और उसके साथ उसका नृत्य भी चलता रहा। फिर ढपली छोड़ कर उसने अपने घाघरे को अपनी जादूगरी से नृत्य करते करते अनेक में बदला और अंत में अचानक उसके घाघरे में हमारी दीपावली की तरह बिजली की लड़ें जल उठीं। तमूरा नृत्य का नज़ारा भी दुबई की तरह भव्य और दर्शनीय था। इसके बाद उसी व्यक्ति ने घोड़ा बनकर और कार्टून बनकर अनेक नृत्य किए। वहां मौजूद सभी लोग उसकी हिम्मत का लोहा मान गए क्योंकि करीब एक घंटे तक वह बिना रुके अपनी पूरी जान लगाकर नृत्य करता रहा। मेरी बेटी ने बाद में उसके साथ फोटो भी खिंचवाया।

अगले दिन हमारी बुकिंग दुबई घूमने की थी। सुबह ही वहां की एक टूरिज्ट बस ने हमें हमारे होटल से लिया और हमें दुबई की रंगीन दुनिया का नज़ारा कराया। हमने उस दिनदुबई की आसमान छूती तमाम इमारतें, बुर्ज और होटल देखे। दुबई के सात सितारा होटल बुर्ज अल अरब के बारे में हमने पहली बार ही सुना। इस होटल का निर्माण एक द्वीप बनाकर उस पर किया गया है। इसमें तीन तरह के साधनों से जाया जा सकता है- सड़क मार्ग, हवाई मार्ग और समुद्री मार्ग क्योंकि इस होटल की छत पर हैलीपैड बनाया गया है और पानी के नीचे पनडुब्बी से भी आने का रास्ता बनाया गया है। हमारे गाइड ने बताया कि इस होटल का सबसे महंगा सुइट पानी के नीचे है जिसकी दीवारे कांच की है।

दुबई में एक और आश्चर्यजनक स्थल है पाम जुमैरा। इसका निर्माण नखील नामक व्यक्ति की कंपनी ने अनेक बेहतरीन आर्किटेक्ट के साथ मिलकर किया है।दुबई में पाम यानी ताड़ के पत्ते के आकार के तीन द्वीप बनाए गए हैं जिनमें से पाम जुमैरा भी एक है। इस मानव निर्मित द्वीप समूह पर अनेक भारतीय अभिनेताओं, खिलाड़ियों और अमीर व्यक्तियों के फ्लैट हैं। इसकी खूबसूरती पाम जुमैरा के ऊपर चलने वाली मोनोरेल से देखी जा सकती है। पाम जुमेरा में सागर के गहरे नीले पानी के बीच स्थित सुरंग से गुज़रकर जाना भी किसी बड़े आश्चर्य से कम नहीं है।

अगर आप दुबई गये और दुनिया की सबसे ऊँची इमारत बुर्ज खलीफा नहीं देखा, तो यात्रा अधूरी मानी जाएगी। यह दुबई मॉल के साथ बना हुआ है और इसका मार्ग इसी मॉल के लोअर ग्राउंड फ्लोर से है। बुर्ज खलीफा को बनने में करीब छह साल लगे हैं और आश्चर्यजनक है कि 828 मीटर ऊंची इस इमारत की 160 मंज़िलों का सफ़र वहां की लिफ़्ट से तीन मिनट से भी कम समय में तय किया जाता है। है न आश्चर्यजनक। दुबई मॉल में हमने समुद्री दुनिया यानी एक्वेरियम का भी टिकट कटवाया और करीब दो घंटे के समय में समुद्र के नीचे की दुनिया का नज़ारा समुद्र के ऊपर से ही ले लिया।
अगले दिन सुबह सुबह हम जुमैरा बीच पहुँच गए समुद्र का आनंद लेने। मेरी बेटी ने वहाँ मौजूद अनेक बच्चों के साथ समुद्र में नहाने का शौक खूब मौज मस्ती से पूरा किया। देखकर महसूस हुआ कि बच्चे चाहे किसी भी देश के हों, वे उतने ही मासूम और मिलनसार होते हैं जितने हमारे देश के होते हैं। जुमैरा बीच पर एक खास बात नज़र आई, वह यह कि समुद्र के बीच की ओर से एक मोटी सी रस्सी किनारे तक बंधी हुई थी जिसे पकड़कर बच्चे पानी से अठखेलियाँ कर रहे थे। उस रस्सी का होना मेरे और मेरी माँ के लिए किसी बड़ी राहत से कम नहीं था। दोपहर तक होटल वापस पहुँच कर हमें रेगिस्तान की सैर करनी थी।

तीन बजे हमें ले चलने के लिए हमारी रोलर कोस्टर होटल के दरवाजे पर पहुँच गई। सबसे पहले हमें एक कॉमन स्थान पर ले जाया गया जहाँ चालक ने अपनी कार के पहिए रेगिस्तान के अनुसार बदले। वहाँ अगर पर्यटक चाहें तो रेत पर चलने वाले स्कूटर की सवारी कर सकते हैं। एक घंटे बाद रेगिस्तानी टीलों पर शुरू हुई हमारी एडवेंचर राइड। रेगिस्तान के टीलों पर चालक ने कभी कार को टेढ़ा और कभी सीधा नीचे की दिशा में खड़ा कर दिया। हमारी सांस बार बार रुक जाती कि अब गए, तब गए। अंत में एक स्थान पर कार को रोका और वहाँ सभी ने फोटोग्राफी की।
फिर हमें रोगिस्तान में ही एक अन्य स्थान पर ले जाकर पहले ऊँट की सवारी और फिर रात्रिभोज दिया गया जहाँ मनोरंजन के लिए संगीत नृत्य कार्यक्रम भी हुआ। इसमें सबसे पहले एक महिला ने बैली डांस दिखाया और फिर बाद में एक साथ चार पुरुषों ने तमूरा डांस से दर्शकों का मन मोह लिया। हालांकि हमने यह डांस पहले ही क्रूज़ पर देखा था लेकिन इस बार भी हमने भरपूर मज़ा लिया। अगले दिन हमने दुबई की कुछ और मॉल देखी जिनमें अमीरात मॉल प्रमुख थी। दुबई की मॉल देखकर पैसे की ताकत का एहसास हुआ। लगा कि दुनिया में पैसे की कीमत क्या है। हालांकि मॉल से कुछ खरीद नहीं पाए लेकिन वहाँ की मॉल का नज़ारा ही करना बड़ी बात थी। मैंने अपनी बेटी को दुबई की गर्मी में भी सर्दियों का अहसास कराने के लिए स्की दुबई भेजा जहाँ कांच के बाहर से हम भी बर्फ की दुनिया देख सकते थे।
एक अकेले दुबई में दुनिया की तमाम सभ्यता और संस्कृति मिल जाती है। अंदाज लगाना मुश्किल है कि यह अरब है या हिन्दुस्तान- पाकिस्तान का ही हिस्सा है। दुबई में अरबी लोगों से बड़ी आबादी हिन्दुस्तान और पाकिस्तान की है। काबिले तारीफ़ है कि इस्लामिक देश होने के बावजूद दुबई का समाज खुला है और इसका श्रेय जाता है दुबई की सुरक्षा व्यवस्था को। कहा जाता है कि दुबई महिलाओं ही क्या हर किसी के लिए बेहद सुरक्षित है लेकिन यह सुरक्षा तब तक ही है जब तक कि कोई इसका नाजायज़ फायदा न उठाए। यहां किसी भी गलत काम का अंजाम बहुत ही बुरा हो सकता है। शांतिप्रिय लोगों के लिए यहाँ घूमने जाना कोई समस्या नहीं है।