रीक्षा के दिन खत्म होने के साथ ही बच्चों और उनके परिवारों को राहत की सांस आती है। बच्चे पढ़ाई और दिन-रात के अनुशासन से छुटकारा पाने और मजे से छुट्टियां बिताने को बेताब रहते हैं तो माता-पिता सोचने लगते हैं कि बच्चों को छुट्टियों में कैसे व्यस्त रखा जाए। बच्चों को बंधी-बंधाई जिन्दगी से छुटकारा पाना तो अच्छा लगता है, पर उन्हें व्यस्त रहने के लिए कुछ ऐसा होना चाहिए जो उनके विकास में मददगार हो और माता-पिता भी संतुष्ट रहें। इतना ही नहीं आज जिस तरह एकल परिवारों का चलन बढ़ रहा है उसमें बच्चों की छुट्टियों के लिए अच्छी योजना बनाना और भी जरूरी हो गया है।

सैर-सपाटे की योजना बनाएं
बच्चे को छुट्टियों में कहीं घूमने जाने की योजना बनाना बहुत अच्छा रहता है। इससे आप सबको घर की उबाऊ जिन्दगी से निकल कर ताजा होने का मौका मिलता है। बच्चे की आयु के हिसाब से उसे योजना बनाने में पूरी तरह शामिल करें, जैसे कहा-कहां जाना है, क्या-क्या देखना, करना है और क्या पैकिंग करनी है इत्यादि।

बाहरी गतिविधियों पर जोर दें
बच्चे के शारीरिक विकास के लिए कसरत बहुत जरूरी है। खासकर आजकल जब टेक्नॉलॉजी पर बच्चों की निर्भरता बढ़ती जा रही है तो नियमित रूप से घर से बाहर निकलने के लिए उन्हें उत्साहित करना और भी जरूरी हो गया है।

छुट्टियों का होमवर्क
छुट्टियों के होमवर्क को भारी बोझ मानने के बजाय उसे बच्चे के लिए मजा लेकर सीखने का अवसर बनाएं। बच्चों के प्रोजेक्ट पूरे करने में हाथ जरूर बंटाएं पर ध्यान रखें कि पूरे काम में उनकी भागीदारी रहे और वे पूरा योगदान करें। अपना होमवर्क देखकर बच्चों में उपलब्धि और गर्व का अहसास जागना चाहिए।

खेलकूद है सार्थक साधन
खेल खेलने से न सिर्फ बच्चे की ऊर्जा को बाहर निकलने का सार्थक साधन मिलता है बल्कि उसके सामाजिक विकास में भी मदद मिलती है। उसे खेलने में बहुत मजा आता है और वह स्वस्थ स्पर्धा, नेतृत्व तथा टीम में काम करने के कौशल भी सीखता है।

परिवार का समय
हमेशा ऐसा संभव नहीं होता कि बच्चा अकेला ही किसी काम में लगा रहे। बच्चा अपनी चीजों में अकेला मगन जरूर रहे पर उसे परिवार के साथ अच्छा समय बिताने के लिए उत्साहित करना भी उतना ही जरूरी है। इसके लिए आप माता-पिता को अपना काम छोडऩा जरूरी नहीं है, बल्कि आप छुट्टियों में बच्चे को अपने काम से जोड़ सकते हैं, जैसे रसोई में या घर के काम में वह आपकी मदद करे।

साथियों से सम्पर्क
बच्चों को अपनी उम्र के दूसरे बच्चों के साथ सम्पर्क करने देना चाहिए। यह उनके सामाजिक-भावनात्मक विकास के लिए जरूरी है। यह बेहद व्यावहारिक भी है क्योंकि इससे बच्चे अपनी मर्जी से व्यस्त रहने के तरीके निकाल लेते हैं।

योजना में बच्चे को शामिल करें
इससे बच्चे को यह तय करने का मौका मिलता है कि वह छुट्टी में क्या करना चाहता है। रोजाना ये सोचने की बजाय कि आज क्या करना है, बेहतर होगा कि आप बच्चे के साथ बैठकर यह तय करें कि छुट्टियों में क्या-क्या करना है। इससे बच्चे में उत्सुकता रहेगी। कल क्या करना है इस बात से अनजान रहने पर बच्चों में बेचैनी पैदा होती है।

मौज-मस्ती
सबसे जरूरी बात यह है कि बच्चे को मस्ती करने दें। इसका मतलब यह नहीं है कि वह सब नियम कायदे ताक पर रख दे, बल्कि वह छुट्टियों का मजा ले और अपना समय सार्थक ढंग से बिताए। छुट्टियां यादगार होनी चाहिए, आपके लिए और आपके बच्चे के लिए भी।