Offering Jal to Shivling: भगवान शिव को जल प्रिय है और भक्त उनकी पूजा में जल अर्पित जरूर करते हैं। लेकिन आपने अक्सर सुना होगा कि शिवलिंग पर शाम के समय जल नहीं चढ़ाया जाता। इस परंपरा के पीछे धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की मान्यताएं जुड़ी हैं। चलिए जानते हैं क्यों शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना मना किया गया है और इस समय कौन-सी पूजा विधि को मान्यता दी गई है।
क्यों नहीं चढ़ाते शाम को जल?
भगवान शिव की पूजा सुबह के समय सबसे उत्तम मानी जाती है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, सूर्योदय से लेकर दोपहर तक का समय भगवान शिव को जल अर्पित करने के लिए सबसे शुभ होता है। वहीं शाम के समय शिवलिंग पर जल चढ़ाना वर्जित बताया गया है। माना जाता है कि संध्या के समय शिवजी ध्यान और योग में लीन रहते हैं। ऐसे में उन्हें जल अर्पण करना उनकी साधना में विघ्न डाल सकता है।
इसके अलावा, पौराणिक मान्यताओं में यह भी कहा गया है कि शिवलिंग पर जल का अधिकतम प्रभाव तभी होता है जब वह सूरज की रोशनी के साथ संपर्क में आता है। इसीलिए सुबह के समय जल चढ़ाने की परंपरा को प्रमुखता दी गई है।
शाम के समय शिवजी की पूजा कैसे करें?
अगर आप शाम के समय भगवान शिव की पूजा करना चाहते हैं तो जल नहीं बल्कि दूसरे पूजन सामग्रियों का उपयोग करें। इस समय आप शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, सफेद फूल, चंदन या भस्म अर्पित कर सकते हैं। शाम को दीप जलाकर भगवान शिव की आरती करना भी बेहद शुभ माना जाता है।
कुछ लोग शिव चालीसा या महामृत्युंजय मंत्र का जाप भी करते हैं, जो मानसिक शांति के साथ-साथ कई तरह की परेशानियों से मुक्ति दिला सकता है। ध्यान रहे कि शाम को शिवलिंग पर जल नहीं बल्कि श्रद्धा और ध्यान से की गई पूजा भगवान शिव को प्रसन्न करती है।
शिव पूजा के नियम और सावधानियां
भगवान शिव की पूजा करते समय कुछ खास नियमों का पालन करना जरूरी है। जैसे कि कभी भी शिवलिंग पर तुलसी नहीं चढ़ानी चाहिए, क्योंकि यह माता लक्ष्मी को समर्पित मानी जाती है। इसके अलावा, पूजा करते वक्त साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना चाहिए और शिवलिंग को सीधे हाथ से छूने की बजाय अर्पण सामग्री से ही पूजा करनी चाहिए।
महिलाएं मासिक धर्म के दौरान शिवलिंग को स्पर्श न करें। और हां, जल अर्पण करने के बाद शिवलिंग को सूखे कपड़े से पोंछने की कोशिश न करें, इसे प्राकृतिक रूप से सूखने देना ही उचित माना गया है।
