दीपावली के दूसरे दिन ही गोवर्धन पूजा क्यों होती है? जानें महत्व
Govardhan puja 2024 : दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। आइए जानते हैं क्या है इसका महत्व?
Govardhan Puja Importance: दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा मनाने का विशेष महत्व है। इसे अन्नकूट भी कहा जाता है। यह पूजा भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से गोकुलवासियों की रक्षा करने की कथा से जुड़ी हुई है। गोवर्धन पूजा और अन्नकूट का मुख्य उद्देश्य प्रकृति और भगवान कृष्ण के प्रति आभार व्यक्त करना और समृद्धि की कामना करना है। इस लेख में हम गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है और इसका क्या महत्व है, इस बारे में बताएंगे। आइए जानते हैं-
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गोवर्धन पूजा का महत्व क्या है?
कथाओं के अनुसार, गोकुलवासियों ने हर साल इंद्रदेव की पूजा करते हुए उन्हें प्रसन्न करने के लिए यज्ञ किया। लेकिन एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुलवासियों से कहा कि इंद्रदेव की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि गोवर्धन पर्वत और प्रकृति ही उनके जीवन को संपन्न और सुरक्षित रखते हैं। इससे इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने भारी वर्षा शुरू कर दी।

भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गोकुलवासियों और उनके पशुओं को वर्षा से बचाया। इस घटना के बाद, इंद्रदेव ने अपनी गलती स्वीकार की और भगवान कृष्ण की पूजा की। तब से गोवर्धन पूजा का प्रचलन शुरू हुआ।
गोवर्धन पूजा का क्या है महत्व?
प्रकृति की पूजा
गोवर्धन पूजा में गोवर्धन पर्वत और प्रकृति को सम्मानित किया जाता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी प्राकृतिक संपदाओं की रक्षा और उनके प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए।
गोवर्धन पूजा में गाय, बैल, और अन्य पशुओं की पूजा की जाती है। यह पर्व कृषि और पशुधन की महत्ता को दर्शाता है, जो किसान जीवन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं।
संपन्नता और समृद्धि
गोवर्धन पूजा को समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन अन्नकूट के रूप में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग तैयार किया जाता है और भगवान को अर्पित किया जाता है। यह संपन्नता और धन-धान्य का प्रतीक है। इसके साथ ही गोवर्धन पूजा भगवान कृष्ण की लीला को स्मरण कराती है, जहां उन्होंने अपने भक्तों की रक्षा की। यह पर्व उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति को दर्शाता है।

गोवर्धन पूजा की विधि क्या है?
इस दिन गोबर या मिट्टी से गोवर्धन पर्वत का प्रतीक बनाकर उसकी पूजा की जाती है।
इसके बाद किसान अपने पशुओं, खासकर गाय और बैल, की पूजा करते हैं। उन्हें नहला-धुलाकर सजाया जाता है और उनके सींगों पर रंग लगाए जाते हैं।
इसके बाद इस मौके पर भगवान कृष्ण को विभिन्न प्रकार के अन्न, मिठाइयां और पकवान अर्पित किए जाते हैं। इसे अन्नकूट कहा जाता है।
गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने का विशेष महत्व है। लोग गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करके भगवान कृष्ण और गोवर्धन का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
गोवर्धन पूजा का संदेश
यह पर्व हमें सिखाता है कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और उनका सम्मान करना अत्यंत आवश्यक है। साथ ही, भगवान कृष्ण की भक्ति और उनकी लीलाओं को याद करते हुए हमें अहंकार से दूर रहकर सत्य, प्रेम और करुणा के मार्ग पर चलना चाहिए।
