Summary : पूर्वी चंपारण की ख़ास और अनमोल बातें
यात्रियों के लिए एक ऐसा गंतव्य है जहाँ हर कदम पर इतिहास की गंध है, हर मंदिर में अध्यात्म की शांति और हर जंगल में प्रकृति का संगीत। सबकुछ एक जगह पर मौजूद है।
East Champaran Travel Guide Tips: बिहार के उत्तरी छोर पर बसे पूर्वी चंपारण को लोग मोतिहारी के नाम से भी जानते हैं। यात्रियों के लिए एक ऐसा गंतव्य है जहाँ हर कदम पर इतिहास की गंध है, हर मंदिर में अध्यात्म की शांति और हर जंगल में प्रकृति का संगीत। यह वह भूमि है जिसने न केवल गांधीजी के सत्याग्रह को जन्म दिया बल्कि बौद्ध संस्कृति और जैव विविधता के दुर्लभ रूप भी संजोए रखे हैं। अगर आप ऐसे यात्री हैं जो भीड़ से दूर सुकून और अर्थ तलाशते हैं तो यह जगह आपकी यात्रा डायरी का एक अनमोल अध्याय बन सकती है।
गांधीजी का चंपारण

पूर्वी चंपारण का नाम लेते ही सबसे पहले याद आता है 1917 का चंपारण सत्याग्रह, जिसने भारत की स्वतंत्रता यात्रा की नींव रखी। मोतिहारी में स्थित गांधी संग्रहालय इतिहास प्रेमियों के लिए किसी खजाने से कम नहीं, जहाँ गांधीजी के पत्र, दस्तावेज़ और तस्वीरें आज भी उस आंदोलन की गूंज सुनाते हैं। यहाँ से कुछ दूरी पर स्थित चंद्रहिया गाँव में गांधी मेमोरियल पिलर है। वही जगह जहाँ गांधीजी ने नीली खेती के शोषण के खिलाफ किसानों की आवाज़ उठाई थी। यदि आप भारत के स्वतंत्रता संग्राम को महसूस करना चाहते हैं तो इन स्थानों की यात्रा आपको अतीत की उस जीवंत ऊर्जा से जोड़ देगी जो आज भी हवा में तैरती है।
केशरिया स्तूप का अद्भुत वैभव
बौद्ध यात्रियों और आध्यात्मिक खोजियों के लिए पूर्वी चंपारण स्वर्ग से कम नहीं। यहाँ का केशरिया स्तूप, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप माना जाता है अपनी विशालता और शांत ऊर्जा से हर यात्री को मंत्रमुग्ध कर देता है। लगभग 104 फीट ऊँचा और 400 फीट चौड़ा यह स्तूप न केवल वास्तु का चमत्कार है बल्कि बुद्ध की करुणा का प्रतीक भी। कहा जाता है कि भगवान बुद्ध ने अपने महापरिनिर्वाण से पहले यहीं अपने अनुयायियों को अंतिम उपदेश दिया था। इसके अलावा लौरिया अरेराज का अशोक स्तंभ भी अवश्य देखें जिसे सम्राट अशोक ने 249 ईसा पूर्व में बनवाया था।
वाल्मीकि टाइगर रिजर्व की सैर

जो यात्री वन्यजीव और प्राकृतिक शांति की तलाश में आते हैं, उनके लिए वाल्मीकि टाइगर रिजर्व स्वर्ग समान है। नेपाल की सीमा से सटा यह अभयारण्य गंडक नदी के किनारे फैला है और बाघ, तेंदुआ, हिरण, सियार और 300 से अधिक पक्षी प्रजातियों का घर है। यहाँ का सोनबरसा रामगढ़ वन्यजीव क्षेत्र भी दर्शनीय है जहाँ आप हाथियों के झुंड को दूर तक शांत चाल में चलते देख सकते हैं। रिजर्व के अंदर ट्रेकिंग ट्रेल्स, बर्ड वॉचिंग टॉवर और रिवर व्यू पॉइंट यात्रियों को जंगल के जीवंत रंग दिखाते हैं।
पहुँचने, मौसम और ठहरने की सुविधा
पूर्वी चंपारण पहुँचना अब पहले से कहीं आसान है। पटना एयरपोर्ट से मोतिहारी लगभग 170 किमी की दूरी पर है। टैक्सी और बस दोनों उपलब्ध हैं। रेल से आने वालों के लिए मोतिहारी जंक्शन मुख्य स्टेशन है जो दिल्ली, कोलकाता और मुंबई से सीधा जुड़ा है। सड़क मार्ग से भी यह यात्रा सुंदर है। गंडक नदी और खेतों के नज़ारे सफर को सुहाना बना देते हैं। सर्दियों का मौसम यात्रा के लिए सर्वोत्तम है जब तापमान 10 से 25 डिग्री सेल्सियस रहता है। रहने के लिए वाल्मीकि रिजर्व के ईको-लॉज या GMVN जैसी सरकारी गेस्टहाउस सुविधाएं उत्तम हैं।
