Sun Transit in Sagittarius: निश्चित समयावधि में सभी ग्रह राशि परिवर्तन करते हैं, जिसे ग्रहों का गोचर कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों के राजा की उपाधि प्राप्त है। इसे मनुष्य की ऊर्जा और आत्मा के रूप में वर्णित किया जाता है। सूर्य सकारात्मकता, स्पष्टता, आत्मविश्वास आदि का प्रतिनिधित्व करता है। बता दे कि सूर्य एक वर्ष में पूरी राशि यानि सभी 12 राशियों का चक्र पूरा करता है। क्योंकि सूर्य का गोचर हर महीने होता है और इस तरह से सूर्य 12 महीने में सभी 12 राशियों में प्रवेश करता है। सूर्य का गोचर राशि के अनुसार शुभ-अशुभ फल भी देता है। लेकिन धनु में सूर्य का गोचर अच्छा नहीं माना जाता है। आइये जानते हैं आखिर इसका क्या कारण है।
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15 दिसंबर को 2024 सूर्य गोचर

रविवार 15 दिसंबर 2024 को सूर्य का गोचर धनु राशि में होगा। यह इस साल सूर्य का आखिरी गोचर होगा। सूर्य का गोचर जिस दिन जिस राशि में होता है, उस दिन उस राशि के नाम की संक्रांति होती है। धनु राशि में सूर्य के आने से इस दिन को धनु संक्रांति भी कहा जाता है। सूर्य 15 दिसंबर 2024 रात 09 बजकर 56 मिनट पर धनु राशि में प्रवेश करेंगे, जोकि देवगुरु बृहस्पति की राशि है। यहां सूर्य एक महीने तक रहेंगे और इसके बाद 14 जनवरी 2025 को मकर राशि में गोचर करेंगे। इस दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
क्यों शुभ नहीं सूर्य का धनु राशि में गोचर

सूर्य पूरे साल में सभी 12 राशियों में प्रवेश करते हैं। लेकिन धनु राशि में सूर्य का आना धार्मिक और ज्योतिष के लिहाज से शुभ नहीं माना जाता है। सूर्य देव जब धनु राशि में आते हैं तो इससे मौसम में बदलाव देखा जाता है और ठंड बढ़ने लगती है। धनु राशि में सूर्य का आना इसलिए बहुत ज्यादा अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि यह गुरु की राशि है और जब सूर्य गुरु की राशि यानी धनु में आते हैं तो इससे सूर्य के तेज से गुरु की शुभता का प्रभाव कम होता है। यही कारण है कि सूर्य के धनु में प्रवेश करते ही खरमास भी शुरू हो जाते हैं, जिसे हिंदू धर्म में शुभ नहीं माना जाता है और इसलिए खरमास में पूरे 30 दिनों तक मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इसके साथ ही सूर्य जब मीन राशि में गोचर करते हैं तब भी खरमास लगते हैं, क्योंकि यह भी देवगुरु बृहस्पति के स्वामित्व वाली राशि है।
खरमास में नहीं होते ये काम

धनु राशि में सूर्य देव जबतक रहते हैं तब तक शुभ-मांगलिक कार्य नहीं होते, क्योंकि यह खरमास की अवधि होती है। खरमास में शादी-विवाह, मुंडन, सगाई, नए घर पर प्रवेश या नए घर का निर्माण कार्य, किसी व्रत का आरंभ या उद्यापन करना आदि जैसे कार्य संपन्न नहीं होते हैं। खरमास के दौरान मांगलिक कार्यों के वर्जित होने का कारण यह है कि इन कार्यों के लिए सूर्य और गुरु दोनों का मजबूत होना जरूरी होता है। धनु और मीन राशि में सूर्य के होने से गुरु की शुभता कमजोर हो जाती है, इसलिए साल में दो बार खरमास के दौरान 30-30 दिनों के लिए इन कामों पर रोक लगती है।
