मधुबनी पेंटिंग्स के बारे में सोचने पर सबसे पहले आंखों के सामने जो चित्र उभरता है वो हमेशा से भगवान, प्रकृति, रीति रिवाजों से जुड़ा होता है, लेकिन हाल ही में कलाकार चित्रा सिंह के सोलो प्रदर्शनी में भोजपुर के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर के ऊपर बनी मधुबनी पेंटिंग्स को देखकर आप मान जाएंगे कि कला के क्षेत्र में भी कलाकार जागरुकता लाने और समाज में बदलाव करने के लिए धीमे-धीमे बहुत कुछ कर रहे हैं।
चित्रा सिंह ऐसी ही एक कलाकार हैं जो मधुबनी फाइन आट्र्स के माध्यम से समाज के कई ज्वलंत मुद्दों को अपनी पेंटिंग्स में दर्शाती हैं। पटना में अपने परिवार के साथ रहने वाली चित्रा सिंह बचपन से ही ब्लैक एंड व्हाईट स्केचिंग करती थी। बड़ी होने लगी तो परिवारकी इच्छा थी कि वो मेडिकल की परीक्षा दें, लेकिन चित्रा का दिल हमेशा से एककलाकार बनने का था। फिर समय बीता और चित्रा ने अपनों सपनों की तरफ फिर कदम तब बढ़ाया जब वो बतौर एक होममेकर घर और परिवार का कार्यभार संभाल रही थी। परिवार का सपोर्ट मिला और चित्रा ने स्केचिंग से आगे बढ़कर मिथिला पेंटिंग शुरू किया। शुरुआत में इस आर्ट में उनकी मदद चित्रकार योगेंद्र और उनकी दोस्त और कलाकार रेखा दास ने किया। फिर धीरे-धीरे चित्रा ने पारंपरिक मिथिला पेंटिंग में अपनाट्विस्ट देना शुरू किया और अपनी पेंटिग्स में आधुनिक और ज्वलंत मद्दों को उजागर करना शुरू किया।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, जर्नलिज़म ऑफ करेज, दशरथ मांझी और महिला सशक्तिकरण कुछ ऐसे विषय हैं जो उनकी कला को दूसरे चित्रकारों से अलग करते हैं। अपनी पेंटिंग्स के बारे में चित्रा कहती हैं, “मुझे याद है कि मेरी लाइफ में एक ऐसा समय भी था जब मैं मधुबनी से जुडऩा नहीं चाहती थी क्योंकि मधुबनी के रजिस्टर्ड कलाकारों की सूची देखिएगा तो उसमें एक लाख चित्रकार रेजिस्टर्ड हैं। मैं सोचती कि एक लाखवां मधुबनी आर्टिस्ट बनकर मैं क्या करूंगी? लेकिन अब इस क्षेत्र में मेरी पहचान बन रही है और मैं खुश हूं।”

प्रतिनिधित्व का मौका- मधुबनी पेंटिंग को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लोगों को ऑनलाइन बाजार उपलब्ध कराए जाते हैं। ऐसे ही एक वेबसाइट ‘वीएलई बाजार’ में चित्रा मधुबनी पेंटिंग का प्रतिनिधित्व भी कर रहीं हैं।
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