jeevan mein sahi vichardhara
jeevan mein sahi vichardhara

Hindi Motivational Story: एक युवक नकारात्मक विचारों से घिरा रहता था। उसे लगता कि वह अनाकर्षक है, कोई उसे पसंद नहीं करता और जिस लड़की से विवाह करना चाहता है, वह भी हाथ से निकल जाएगी। ऐसी नकारात्मक सोच का उसके काम पर भी असर पड़ा और उसने नौकरी छोड़ दी। वह ज़्यादाकर अकेला रहना पसंद करता। ऐसे में किसी शुभचिंतक ने उसे हिल स्टेशन पर जाने की सलाह दी कि शायद बदले माहौल से उसे कुछ सहायता मिले। उसे भी यह सलाह जच गई। जब वह शहर से बाहर जाने के लिए निकलने लगा तो उसके पिता ने उसे एक पत्र दिया और कहा कि वह इसे अपने गंतव्य स्थल पर पहुँचकर ही खोले। वह हिल स्टेशन पर पहुँच तो गया, किंतु यहाँ भी ख़ुद को बेहतर महसूस नहीं कर पा रहा था।

तभी उसे अपने पिता द्वारा लिखे पत्र की याद आई। उसने पत्र खोला, उसमें लिखा था, “बेटा, तुम घर से 1500 मील दूर हो, मगर मैं जानता था कि तुम्हें वहाँ भी शांति नहीं मिलेगी क्योंकि तुम अपने साथ वहाँ भी वही वस्तु ले गए, जो तुम्हारे क्लेश का कारण है। वह है तुम्हारी विचारधारा।

वही तुम्हारे दुःख का मूल कारण है। मनुष्य अपने मन में जैसा सोचता है। तुम्हें जब यह ज्ञान हो जाए तो घर लौट आना। तुम अपने आप अच्छे हो जाओगे।”

पत्र पढ़कर युवक के मन का सारा विकार धुल गया। वह जीवन में पहली बार स्पष्ट और विवेकपूर्ण ढंग से सोचने लगा। इससे उसे अहसास हुआ कि वह अब तक कितना ग़लत था। वह सारे संसार और उसके हर प्राणी को बदलना चाहता था, जबकि ज़रूरत इस बात की थी कि वह अपने विचार तथा दृष्टिकोण को बदलता। अगले ही दिन वह युवक घर लौटा और जल्दी ही उसने नौकरी पर जाना शुरु कर दिया। कुछ ही दिनों में उसने मनचाही लड़की से विवाह भी कर लिया।

इस तरह विचारधारा बदलने के साथ ही उसकी पूरी दुनिया बदल गई और वह अपने जीवन में सुखी रहने लगा।

ये कहानी ‘नए दौर की प्रेरक कहानियाँ’ किताब से ली गई है, इसकी और कहानी पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर जाएंNaye Dore ki Prerak Kahaniyan(नए दौर की प्रेरक कहानियाँ)