Hundred Dates
Hundred Dates

Hindi Love Story: “मेरा पति तो एकदम खूसट है यार! दारू के लिए तो साला तरस गई।” उसने अपना पहला पेग तपते गले को दो घूँट में अर्पण किया।

कम बसी कॉलोनियों के खाली घरों के सामने की सड़कों पर, चाँदनी बेवजह तो क्यूँ बिखरेगी।

“कोई बात नहीं बच्चे उससे पैदा कर लेना, दारू पीना हो तो मुझे याद कर लेना। हा…हा…हा…” बेइरादा ही कहा था मैंने।

“हा…हा…हा…बच्चे भी तुम्हीं दे दो न…” जवाब में तो बराबर की दुष्टता उससे बेहतर कोई कर ही नहीं सकता। निकल गई बात पर पर्दा डालने की कोशिश में उसने होंठ दबा लिए।

दूसरा पेग बनाते हुए मैंने उससे पूछा- “अच्छा! ख़ुद नहीं पीता ना सही, तुम्हारे पीने में भी उसे दिक्क़त है क्या?”

“बौरा गए हो क्या? वहाँ के माहौल में दारू का नाम तक लेना पाप है डियर। एक-दो बार कहीं बाहर रहने पर इनसे कहने की कोशिश भी की; ऐसे देखा मुझे, जैसे किसी आतंकवादी हमले की प्लॉनिंग कर रही हूँ।”

मैंने उसका हाथ पकड़ा और चूमते हुए कहा-“अरे डार्लिंग, किसी दिन पाँच-सात पेग लगाकर,मचा ही डालो दहशतगर्दी। इन संस्कारी बच्चों ने तुम्हारा चुड़ैलपना देखा नहीं है न।”

“यह तो छब्बीस ग्यारह का हमला हो जाएगा। पूरा घर फट जाएगा। हा…हा…हा…उनका घर फटता तो इतनी कोई दिक्क़त नहीं थी; यहाँ मायका भी जाएगा। हा…हा…हा…”

“ठीक कहती हो, शराफ़त से सोने दो चुड़ैल को। कोई बुढ़िया-बुढ़ऊ निपट गए तो अटैम्प टू मर्डर, तीन सौ सात भी लग सकती है।”

“हाँ, स्लो पॉईज़न ही सेफ है। हा…हा…हा…”

बहुत दिनों बाद, आज हमनें जी खोल कर ठिठोली की। पुराने दिनों में से उधार रह गया कोई दिन आज लौट आया था, मैं उसको जगह-जगह चिकोटी काट कर परेशान कर रहा था। इच्छा रह गई तो एक कि, उसके सीने पर गाढ़े-गाढ़े लव बाइट्स बना पाता जिन्हें वह ज़हरीले निशान कहा करती थी।