प्रीति के पैर अक्सर ही फटे रहते हैं या फिर बहुत गंदे से दिखते हैं। जबकि प्रीति पैरों का ख्याल खूब रखती आई हैं। पैडीक्योर से लेकर अच्छी से अच्छी क्रीम तक सब कुछ करती थीं वो। दरअसल सेहत का ख्याल रखना कोई गलत आदत नहीं है। मगर पूरे शरीर के साथ पैरों को इग्नोर कर देना गलत है। मतलब बाहरी सुंदरता से पहले पैरों को हेल्थी बनाए रखने की कोशिश की जानी चाहिए। इसके लिए अच्छे खान-पान के साथ कुछ आदतों पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है। जिनको छोड़ देने या सुधार कर लेने भर से पैरों का स्वास्थ्य ठीक हो सकता है। ये आदतें भी ऐसी हैं, जिनमें सुधार करना बहुत कठिन नहीं है। बस इनकी अहमियत एक बार समझ आ जाए तो इन्हें अपनाना आसान हो जाता है। ये आदतें कौन सी हैं, , आइए जानें, ताकि आपके पैर हेल्थी रहें-
बिना जूतों के रनिंग-
हेल्थी रहने के लिए आपको दौड़ लगाने की सलाह दी गई होगी। लेकिन इसका सही तरीका अपनाए बिना ऐसा करना गलत हो सकता है। मतलब बिना जूतों के ही दौड़ना आपके पैरों पर गलत असर डाल सकता है। दरअसल जूतों से पैरों को सपोर्ट मिलता है। इनसे पैर सुरक्षित भी रहते हैं। बिना जूतों के पैरों पर ज्यादा दबाव पड़ सकता है। इसके अलावा पहले से मौजूद चोट में संक्रमण भी हो सकता है। फटी एड़ियां और ज्यादा फट सकती हैं। इनमें भी संक्रमण हो सकता है। 
बिना मोजों के जूते-
किसी भी तरह के ऐसे फुटवियर जो पैरों को कस कर रखते हैं, उनके साथ मोजे पहने जाना जरूरी हो जाता है। मोजे न पहनने से पैरों की नमी सूख नहीं पाएगी और फंगस या दूसरे किटाणुओं से इसे बचाना कठिन हो जाएगा। नमी जैसे-जैसे बढ़ेगी पैरों के लिए खतरा और बढ़ जाएगा। जूतों में इकट्ठा हुआ पसीना पैरों में बदबू भी ले आता है। जो आपके लिए सामाजिक तौर पर भी दिक्कत करेंगे। 
हाई हील नहीं हैं हेल्थी-
हाई हील कभी-कभी किसी मौकों पर पहनना कोई बड़ी दिक्कत को दावत नहीं देता है। लेकिन जल्दी-जल्दी या रोज इसको पहनना सही नहीं है। इसकी वजह से पैर एक खास स्थिति में रहते हैं और पैरों की कई सारी परेशानियां खड़ी हो सकती हैं। इसकी वजह से एढ़ी के साथ पूरे तलवे में दिक्कत हो सकती है। इसकी वजह से कई ऐसी प्रॉबलम भी हो सकती हैं, जिनको सर्जरी से ही सुधारा जा सकता है. 
जूतों की उम्र-
जूते जब तक टूटें न, तब तक उन्हें पहनते रहें। ये सोच सभी की होती है लेकिन दौड़ने वाले जूतों के साथ ऐसा नहीं होता है। उनको एक उम्र के बाद हटाना जरूरी हो जाता है। ये तब बेकार हो जाते हैं जब इनकी शॉक सहने की क्षमता कम हो जाए। वैसे तो कोई निश्चित नियम नहीं है लेकिन फिर भी 500 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद इन जूतों की जांच कर लेना सही रहता है। 
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