भारत में पत्तल के इतिहास यानी कि इसे बनाने और इसमें खाना खाने की परंपरा कब और कहां से शुरू हुई इसका पता अभी तक नहीं चल सका है। पत्तों से खाना खाने हेतु प्लेट, प्यालियाँ आदि बनाना समूचे भारत में प्रचलन में है। वहीं बड़े-बड़े हलवाई आज भी अपनी दुकान में चाट और मिठाई पत्तल के बने दोनों में देते हैं। आपको बता दें कि पत्तल में खाने का स्वाद ही बढ़ जाता है।

होते हैं ये फायदे:
पत्तल पर खाने की आदत न केवल पैसों की बचत करेगी, बल्कि पानी भी बचाएगी क्योंकि आपको इसे धोने की जरूररत नहीं होगी और इन्हें जमीन में डालकर खाद बनाई जा सकती है। पत्तल यानि पत्तों से बनी हुई प्लेट जिस पर आप भोजन कर सकते हैं। आजकल महंगे होटलों और रिसोर्ट मे भी केले की पत्तियों का यह प्रयोग होने लगा है।
वहीं आपको बता दें कि सुपारी के पत्तों से बनाई गई प्लेट, कटोरी व ट्रे में भोजन खाना स्वास्थ्य के लिए भी बहुत लाभदायक है। सुपारी ही नहीं पलाश के पत्तों की थाली पत्तलों में खाना खाने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। कृमि, कफ, खांसी, अपच व पेट संबंधी व रक्त संबंधी अन्य बीमारियां होने की संभावना कम होती है। वहीं अगर हम देखें तो दक्षिण भारत में केले के पत्ते में खाना खाने का चलन है। अपको जानकर हैरानी होगी कि पलाश के पत्ते ये तैयार पत्तल को बवासिर (पाइल्स) के रोगियों के लिये उपयोगी माना जाता है।
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