क्या आज भी आप जलेबी की मिठास का स्वाद लेना पसंद करते हैं? क्या आज भी सिर्फ गुलाब जामुन ही आपके मीठे की ललक को कम करता है? क्या इन पारंपरिक मिठाइयों के बदले आपने कुछ नया ट्राई नहीं किया। हां भई हां… अब मिठाइयां भी अपना रंग बदल चुकी हैं। विदेशी डेजट्र्स का जमाना है। वक्त के साथ सब कुछ बदलता है, यकीनन हर स्वाद भी। बरसों से चली आ रही पारंपरिक मिठाइयों की अपनी अलग मिठास है, लेकिन आजकल स्वीट डिशेज में कई ट्विस्ट और टर्न आ गए हैं।

बदलते दौर में अब गुलाब जामुन,रसगुल्ला, रबड़ी मलाई का जायका पुराना हो चला है। नई पीढिय़ों को चाहिए कुछ नया, कुछ टेस्टी, ऐसा जो मीठे के साथ दे नया स्वाद। नए जमाने की इस पीढ़ी की नब्ज़ बाजार ने भी पकड़ ली है। अब बेकर्स की अपनी एक अलग दुनिया है, जहां वो नई-नई स्टाइलिश डेजर्ट्स बनाते हैं और आप तक पहुंचाते हैं। सबसे पहले बात केक्स की करूंगी। वैसे तो केक्स का अपना लंबा चौड़ा इतिहास है, फिर भी अपने देश में केक्स किसी खास मौके के लिए बनाए जाते हैं जैसे बर्थ डे केक, वेडिंग केक्स, क्रिसमस केक। लेकिन आजकल नए जमाने में इसे ट्राई करने का मौका ढूंढते हैं लोग।

पार्टी कोई भी हो केक काटना तो बनता ही है ना। पार्टी नहीं भी है तो मुंह मीठा मांगे तो छोटा केक यानी कि पेस्ट्री ट्राई कर ली जाती है। यही नहीं अब तो कप केक्स का जादू भी सिर चढ़कर बोल रहा है। इसके दीवाने बच्चों के साथ-साथ बड़े भी हैं। तो क्या बदलते जमाने में मिठाई का ट्रेंड बदल रहा है? ऐसे कई फूड फेस्टिवल्स में मैंने देखा कि लोग किस तरह से नए-नए डेजर्ट ट्राई कर रहे हैं। मैंने देखा कि लोग पेस्ट्रीज़ टाट्र्स, पाईज और डोनट्स का स्वाद लेने में मशगूल हैं। यकीनन मैं भी नई मिठाई को एक बार ट्राई जरूर करती हूं। डोनट ट्राई करने का अनुभव भी आपसे शेयर कर रही हूं। मैंने देखी एक गोल छल्लेनुमा डिश जिसमें बीच में छेद है और उसके गोल किनारों पर चॉकलेट्स वगैरह की कई परत हैं। पहले मैं इस डिश का नाम नहीं जानती थी। फिर पता चला इसे डोनट कहते हैं। दिखने में मुझे ये बालूशाही (यूपी में शादी के कार्यक्रम में बनाई जाने वाली एक प्रमुख मिठाई) का ही एक रूप लगते हैं। मैंने भी ट्राई किया। लेकिन सच कहूं तो मुझे इसका स्वाद पसंद नहीं आया।

अपनी बालूशाही के जायके के आगे यह उन्नीस ही निकली। मिठाई की एक और रेसेपी टार्ट के साथ भी कुछ इसी तरह का अनुभव रहा। नए जमाने के स्वीट माने जाने वाले टार्ट की रेसिपी तो न जाने कितनी बार देखी लेकिन जब मैंने उसे टेस्ट किया तो जीभ ने मुझसे पूछ ही लिया कि ये कैसी मिठाई है। खैर मैं किसी डिश की तौहीन नहीं कर रही और न मेरा कोई ऐसा इरादा है। मैंने वो बात शेयर की जो मुझे नए जमाने की इन मिठाइयों में लगी। मुझे यकीन है कि कुछ लोग मुझसे सहमत होंगे तो कुछ लोग असहमत। कहते हैं कुछ चीज़ें सिर्फ देखने में ही अच्छी लगती हैं शायद टार्ट और डोनट्स के साथ मेरा भी अनुभव कुछ ऐसा ही रहा। लेकिन फिर बात वहीं आ गई जमाना तो इन्हीं का है। 

आज के दौर में स्पेशल डेजर्ट फेस्टिवल्स भी आयोजित किए जाते हैं, जहां स्टाइलिश स्वीट्स सर्व किए जाते हैं। मेट्रो सिटीज़ में तो इन स्टाइलिश स्वीट डिशेज ने बाजी मार ही ली है। पहले के जमाने में दादा अपने पोते-पोती को जलेबी, रसगुल्ला या गाजर का हलवा खिलाने ले जाया करते थे। आज के मॉल कल्चर में क्रेज बदला-बदला सा है। अब तो बच्चे अपने दादादादी को स्टाइलिश स्वीट्स यानी कि डोनट्स,टार्ट, पाईज, पुडिंग्स और ब्राउनीज खिलवाते हैं। तो वहीं मॉम्स कभी घर तो कभी बाहर इसका लुत्फ लेती नजर आती हैं। आज घर पर केक्स बनने के ऑप्शन हैं। लोग कुकरी क्लासेज भी ज्वाइन करके डेजट्र्स बनाना सीख रहे हैं। यकीनन यह स्वाद भारतीय नहीं बल्कि पश्चिमी प्रेरित है। इतना ही नहीं, अब तो लोग गिफ्ट्स में भी इसे ही देना पसंद करते हैं। हाय रे देसी मिठाई। अब देसी मिठाइयों को लोग

कम ही पूछ रहे हैं। अगर पूछ भी रहे हैं तो यह सिर्फ छोटे शहरों में ही हो रहा है। जबकि मेट्रोज पूरी तरह से नए डेजट्र्स के रंग में रंग चुके हैं। बेकर्स नई-नई ट्रेंडी चीज़ें लेकर आ रहे हैं जो लोगों को लुभा रही हैं। अब मीठा स्टाइलिश, ट्रेंडी और मज़ेदार हो गया है। मीठे का ये बदलता दौर अपने आप में बिलकुल जुदा है। तभी तो देखिए ना दिल और दिमाग पर अब यही डेजर्ट घूमते हैं सिर्फ बच्चों,युवाओं के ही नहीं बल्कि बड़े बूढ़ों के भी। यकीनन वो भी ये जायके खाकर खुश होते हैं और कहते हैं कि वाकई कितना बदल गया है खानपान।