दक्षिण भारतीय फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री राय लक्ष्मी हिन्दी फिल्मों में अपनी एंट्री फिल्म ‘अकीरा के जरिए कर चुकी हैं, अब उनकी मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘जूली-2 रिलीज होने को तैयार है। मुंबई ब्यूरो चीफ गरिमा चंद्र्रा की एक मुलाकात राय लक्ष्मी से-
 
काम का सिलसिला
बहुत छोटी उम्र में ही मैंने मॉडलिंग शुरू कर दी थी, हर तरह के छोटे-बड़े विज्ञापन मैंने किए। फिर मैं मिस कर्नाटक बनी, उसके बाद मुझे मेरी पहली मलयालम फिल्म मिली। काम के मामले में मैं लकी थी। फिल्मों में एंट्री बहुत आसान रही, मुझे बिना संघर्ष के काम मिलता गया लेकिन मेरे लिए क्या सही रोल है या क्या गलत, इसकी मुझे पहचान नहीं थी।
 
गेम चेंजर
फिर मुझे ‘धाम धूम फिल्म मिली, जिसका रीमेक हिंदी में भी हुआ ‘रन जिसमें भूमिका वाला रोल मैंने किया और ये फिल्म मेरे लिए गेम चेंजर साबित हुई। फिल्म सुपर हिट हुई लोगों ने मुझे बहुत पसंद किया। मुझे भी तब तक फिल्म और लोगों की पहचान हो गई थी। उसके बाद फिर मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
 
संघर्ष
ज्यादातर लोगों को फिल्म में काम करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है लेकिन मेरे साथ उलटा हुआ, मुझे काम मिलने के बाद भी संघरष करना पड़ा क्योंकि मैं नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से थी। इंडस्ट्री को नहीं जानती थी। मैं सिर्फ 15 साल की थी और कुछ लोगों पर अंधा विश्वास कर रही थी, जो इस फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े थे। उन्होंने अपने फायदे और कमीशन के लिए मुझे गलत फिल्में साइन करा दी, जिसकी वजह से लोगों की नजरों में मेरी इमेज खराब हो गई, उस इमेज को ठीक करने में मुझे बहुत संघर्ष करना पड़ा।
 
बॉलीवुड में एंट्री
बॉलीवुड में एंट्री देर से हुई, ये कहना सही नहीं है। ‘जूली मेरी 50वीं फिल्म है और इतने बड़े बैनर के द्वारा मुझे बॉलीवुड में एंट्री मिल रही है। दरअसल पहले भी मेरे टैलेंट को देखते हुए मुझे कई हिंदी फिल्मों के प्रस्ताव मिले थे लेकिन अपने साउथ फिल्मों के कमिट्मेंट की वजह से मुझे इंकार करना पड़ा। मैं साउथ में चार भाषा में काम कर रही थी और एक साल में वहां चार या पांच फिल्म कर रही थी, तो उन सबको एकदम से छोड़ कर नहीं आ सकती थी।
 
कास्टिंग काउच
लोगों को कास्टिंग काउच का अनुभव तब होता है, जब उन्हें काम चाहिए होता है लेकिन मेरे साथ शुरू में ऐसा कुछ नहीं हुआ, जब मैं नोबडी थी, तब मुझे बड़ी आसानी से काम मिल गया। फिर भी 10 फिल्म करने के बाद भी फेमस होने के बाद भी इस इंडस्ट्री में ऐसे लोग हैं, जो आपको गलत प्रस्ताव देते हैं और आपका गलत फायदा उठाना चाहते हैं। आज भी एक लड़की को इन सब से गुजरना पड़ता है। शायद इंडस्ट्री में सीरियस फिल्म मेकर्स के अलावा कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो सिर्फ इन्हीं कारणों के लिए फिल्म बनाते हैं।
 
जूली 2 और बोल्ड सीन
जूली 2 फिल्म करना मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग रहा है। फिल्म में मेरे कई अवतार हैं कभी मैं बहुत फिट सेक्सी दिख रही हूं और कभी मोटी। जहां तक बोल्ड सीन का सवाल है, तो ये करना आसान नहीं होता है। जूली के सारे इंटिमेट सीन सिर्फ चार या पांच तकनिशियनों के साथ किए हैं। जूली से मुझे बहुत उम्मीद है। पूरे डेढ़ साल में ये फिल्म बन कर तैयार हुई है। इतने समय में तो मैं साउथ में चार-पांच फिल्म कर सकती थी।
 
मजबूती और कमजोरी
मेरे प्रशंसक ही मेरी ताकत है। मुझे पता है कि मैं कुछ भी करूं, चाहे वो एक सीन हो, मेरे प्रशंसक उस फिल्म को देखने जरूर जाएंगे। मेरी कमजोरी मेरी भावनाएं हैं, मैं किसी को भी ना नहीं कह पाती हूं। जैसा कि अकीरा फिल्म करना। मुझे पता था कि मेरे प्रोफेशनल ग्राफ के लिए अकीरा का छोटा सा रोल करना सही नहीं है, किंतु फिर भी मैं मुरदगया सर को मना नहीं कर सकी। 
 
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