क्या आप अपना परिचय ‘गृहणी’ के रूप में देती हैं? जब कोई पूछता है कि आप क्या करती हैं तो आप मायूस हो के ‘कुछ नहीं हाऊस वाइफ हूॅ’ कहती हैं? क्या स्वयं को आप कामकाजी महिलाओं से कम समझती हैं? अपना कनफ्यूजन मिटाइए गृहलक्ष्मी होने में कोई गुरेज नहीं आप आज के जमाने की गृह प्रबंधक हैं।
    जी हॉ ! कल की घूघंट ओढ़े, हाथों में ढेर सारी चूडियॉ पहने, माथे पे सिंदूर लगाए घर के काम काज करती हुई गृहणी आज बदल गई है ।

वो ज्यादा इनर्फामड् है –
    संचार साधनों, शिक्षा के प्रभाव से वो पहले की अपेक्षा, आज ज्यादा जानती है । देश विदेश की खबरें, बाजार का हाल, पड़ोस के क्रिया कलाप, सब्जियों के भाव, उसे सब पता है।

वो ज्यादा स्मार्ट है –
    आज की गृहलक्ष्मी पहनने ओढ़ने, बोलचाल में स्मार्ट है । दो चार बच्चों की मां होकर भी मां नहीं लगती । उसे प्रेजेन्टेबल लगना आता है । वो हर परिस्थिति से सामंजस्य बिठा सकती है ।

वो सेहत के प्रति जागरूक है-
    आज की गृहलक्ष्मी हैल्थ मैगजीन्स पढ़ती है । वो परिवार के सदस्यों के साथ, अपना ध्यान भी रखती है । कैल्शियम, थाइराइड, शुगर, सभी के टेस्ट कराती है । योगा करती हें उसने जिम ज्वाइन किया हुआ है । मार्निगं वॉक लगभग सभी करती है । वो जानती है कि खुद सेहतमंद रहकर ही वो परिवार का अच्छी तरह ध्यान रख सकती है ।

शापिंग ज्यादा करती है-
    आज की गृहलक्ष्मी हर तरह की शापिंग करती है ।  गेहूॅ खरीद हो या सोने की परचेजिंग, साडियॉ हो या दवाइयॉ, ऑनलाइन हो या विन्डो शापिंग । उसे क्वालिटी, भाव , ट्रैण्ड सब पता है ।

जिम्मेदारी ज्यादा निभा रही है-
    पहले गृहणी का काम सिर्फ घर की सफाई,  खाना बनाने, झाडू बुहारने तक सीमित था पर आज सब्जी लाने से लेकर बच्चों को ट्यूशन छोड़ने, बिजली-पानी के बिल जमा करने, पार्टी आर्गनाइज करने तक ही हर गतिविधि में वो सक्रिय है । वो सभी गैर पारम्परिक रोल निभा रही है । पेरेन्ट-टीचर मीटिंग हो या चक्की से आटा पिसाना, हर काम में हिस्सा वो ले रही है ।

सौन्दर्य के प्रति जागरुक है
    आज की गृहलक्ष्मी ज्यादा खूबसूरत है। सौन्दर्य प्रतियोगिताओं के परिणामों से यह बात सिद्ध हो चुकी है। आज कास्मैटिक सर्जरी का उपयोग करके, सौन्दर्य प्रसाधनों को आजमा के, पहनने-ओढने फैशन की जानकारी से वो और भी ज्यादा अच्छी लगने लगी है ।

परम्पराओं को निभाती हैं-
    आज गृहणी परम्पराओं को निभाने में पीछे नहीं । वो तीज, त्योहार, श्राद्ध सब मनाती है और ज्यादा आस्था और उल्लास से क्योंकि वो रूढियो का पालन उन्हें तर्क की कसौटी पर कस कस के करती है, संतुष्ट होने पर, रूढियों का,े परम्पराओं को भली भांति मनाती है । उसे हर परम्परा का अनन्तकालिक महत्व पता है ।

बेहतर मॉ है-
    आज की गृहणी ज्यादा जागरूक होने के कारण बच्चों की देखभाल अच्छी तरह कर रही है । कम बच्चे होने के कारण वो उनकी जरूरतें बेहतर तरीके से समझती है और अच्छी तरह क्वालिटी टाइम दे कर बच्चों का पालन पोषण कर रही है ।

इंटरनेट फ्रेन्डली है –   
आज की गृहणी नवीनतम तकनीक का इस्तमाल करती है, वो हर तरह का व्हीकल चलाती है वाशिंग मशीन हो या कम्प्यूटर, संचार के नवीनतम साधन उपयोग में लाती है ।

पति के साथ कन्धा मिला रही है-
    आज की गृहणी पति के साथ ज्यादा सहभागिता कर रही है । घर, खेत, खलिहान में हाथ बॅटाने के अलावा हर क्षेत्र में कदम मिलाकर चल रही है । आज कोई भी रोल डिफाइन्ड या डिमार्केटेड नहीं है ।

मॉर्डन है-
    आज की गृहलक्ष्मी हर लिहाज से मॉडर्न है । वो पर्यावरण की चिन्ता करती है       और देश-विदेश के मसले भी उसे पता है । वो अर्थ आवर में बिजली बचाना जानती है और पार्टी में खाना बराबर बनाना भी । वो अपनी कम्पनी के क्लाइन्ट से इच्छी तरह से ड़ील कर सकती है ।

ज्यादा सोशल हो गई है –
    आज गृहणी के सामाजिक दायरे विस्तृत हो गये है । वो किसी पार्टी की मेम्बर है या किसी संस्थान की सदस्य । वो अपने घर परिवार के सदस्यों के अलावा भी कई स्तरों पर लोगों से मेल-मिलाप रखती है ।
कारण है इस बदलाव के –

शिक्षा का प्रसार-
    लड़कियों के शिक्षित होने से आज समाज में काफी फर्क पड़ा है । शिक्षित महिला यदि गृहलक्ष्मी बनेगी तो ज्ञान का सदुपयोग होगा ही ।

न्यूक्लीअर फेमेलीज-
    छोटे परिवार होने से पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक बन गये है । रोल डिफाइन्ड नहीं है । आवश्यकतानुसार महिलाओं को भूमिका बदलनी पड़ी है ।

समय की मांग-
    आज समय की मांग है कि पति-पत्नी दोनों कमाएं । दोनों के काम काजी होने से पूरे घर का ढर्रा बदल जाता है।

वर्किगं वुमैन होना-
    काम काजी महिला होने से गृहणियों में आत्म विश्वास आता है । महिला उद्यमी बने या पार्ट टाईम जॉब  करें गृहणियॉ पहले से ज्यादा बेहतर हो पाई है । सामाजिक जीवन व व्यक्तिगत जीवन में ।

नयेपन की चाह-
नयेपन की चाह हम में से हरेक को होती है । गृहणियां भी इस नयेपन की चाह के चलते हर क्षेत्र में हाथ आजमा रही है ं गृहलक्ष्मी बदली तो है पर बेहतर होने के लिए।
यदि आप स्वयं में ये सारे लक्षण नहीं पाती हैं तो सोच का विषय है। गृहणी से गृहप्रबंधक – इस बदलाव का आत्मविश्वास स्वयं में लाइए और बन जाइए आज की सच्ची गृहलक्ष्मी।