3 सितम्बर 1992 को हरियाणा रोहतक के पोखरा गांव में जन्मी साक्षी को अपने दादाजी से प्रेरणा मिली और 12 साल की उम्र से उन्होंने अपने कोच ईश्वर के अंडर में रेसलिंग की ट्रेनिंग शुरू करी। 2010 में अपना पहला मेडल जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में जीता। साथ ही अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और फ़िज़िकल एजुकेशन में मास्टर डिग्री हासिल की। आज साक्षी भारतीय रेलवे में कार्यरत है। हाल ही में साक्षी की उनके रेसलर बॉयफ्रेंड सत्यवर्त क़दीयन के साथ सगाई हुई है। अपने नाम के ही अनुरूप साक्षी ने अपने सक्षम होने का सबूत सारी दुनिया को दे दिया है ।

आपको बता दें कि हाल ही में साक्षी पी एंड जी के विस्पर ब्रांड की ब्रांड एम्बेसडर बनी। आइए पढ़ते हैं उनसे बातचीत के कुछ अंश –

 

विस्पर ब्रांड से जुड़ने की कोई ख़ास वजह ?

 

 

मैं एक लड़की हूँ और मुझे इस बात का गर्व है। विस्पर सिर्फ़ लड़कियों की ज़रूरत का ब्रांड नहीं है बल्कि वह लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी कर रहा है। इस तरह के ब्राण्ड से जुड़कर शायद मैं सभी लड़कियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे सकती हूँ।

 

आपने इस मुक़ाम को हासिल करने के लिए किस तरह का सफ़र तय किया ?

 

 

बहुत ही लम्बा सफ़र तय करके यहाँ तक पहुँची हूँ ,अभी भी बहुत मेहनत करनी बाक़ी है। 12 साल की उम्र से मैंने रेसलिंग की ट्रेनिंग शुरू करी। मैं रोज़ साइकिल से 7 किलोमीटर दूर स्कूल जाती थी ,साथ ही सुबह शाम 2-3 घंटा रेसलिंग की ट्रेनिंग और टूय्शन भी करती थी। इसके अलावा ताक़त के लिए फ़िज़िकल ट्रेनिंग भी ज़रूरी होती है।

 

आपने रेस्टालिंग को ही अपना करीएर क्यूँ चुना ?

 

 

मुझे शुरू से स्पोर्ट्स का शौक़ था। मेरे दादाजी रेस्टलेर है ,जब उनसे इसके बारे में सुना तो फिर मैंने सोच लिया कि अब यही करना है रेसलिंग को ही अपना करीयर बनाना है।

 

आपके इस निर्णय में परिवार का कितना सहयोग रहा ?

 

 

परिवार का तो पूरा सहयोग मिला उन्होंने कहा जो भी करना चाहती हो ,जिस भी फ़ील्ड में जाना चाहती हो जाओ। लेकिन आस-पास के लोगों का समाज का बिल्कुल सहयोग नहीं था बल्कि सब व्यंग करते थे, लड़की होने के ताने देते थे कि लड़की होकर पहलवानी कर रही है, कुश्ती करके क्या करेगी, लेकिन मैंने कभी भी किसी बात की परवाह नहीं करी। अब हमारे यहाँ काफ़ी लड़कियां रेसलिंग सीखने आने लगी है ,जिन माँ बाप को लगता है कि उनकी बेटी कर सकती है वह उन्हें प्रोत्साहन दे रहे हैं।

 

अपने देश में खेल में और क्या बदलाव लाना चाहती हैं ?

 

बदलाव मैं नहीं ला सकती बदलाव तो सरकार को लाना है तभी हमारे देश में और मेडल आएंगे। हमारे देश में दूसरे देश के मुक़ाबले में बहुत ज़्यादा खामियां हैं, मेडिकल से लेकर, ट्रेनिंग इक्यूपमेंट या खाना-पीना सबकी कमी है ,तभी तो इतनी बड़ी आबादी वाले देश से भी कोई खिलाड़ी कामयाब नहीं हो पाता है। वो कहतीं हैं कि मैंने खुद एक एेसे हाल में ट्रेनिंग की है जहाँ सिर्फ़ टीन की छत है, जिसकी वजह से इतनी गर्मी और धूप लगती है कि आप वहाँ कुछ समय के लिए बैठ भी नहीं सकते।

 

ओलम्पिक की जीत के लिए आपको गृहलक्ष्मी की पूरी टीम की तरफ़ से बहुत-बहुत बधाई। क्या इस जीत का आपको पहले से अहसास था ?

 

आप सभी को बहुत धन्यवाद…. हाँ इस जीत के लिए मैंने पहले से सोचा था ,मेरा सपना था कि ओलम्पिक में भारत के लिए मेडल जीतू । बहुत मेहनत भी की थी, अब जब जीत कर आई हूँ तो बहुत प्यार मिल रहा है ,सम्मान मिल रहा है ,मुझे ख़ुशी है कि कहीं ना कहीं मैं उन लड़कियों की रोले मॉडल बनूँगी जो देश के लिए खेलना चाहती है और अब भारत में सिर्फ़ रेसलिंग नहीं बल्कि दूसरे खेलों को भी बढ़ावा मिलेगा ।

 

अब आप एक सिलेब्रिटी हो गई है कैसा लग रहा है ?

 

मैं जानती हूँ कि यह सब थोड़े समय का है अभी तो अच्छा लग रहा है लेकिन ये सब ब्राण्ड से जुड़ना या चकाचौंध की दुनिया या इस तरह का सिलेब्रिटी स्टेटस मेरे लिए नहीं है ,मुझे तो इस सब से डिप्रेशन होता है मैं बहुत लो फ़ील करती हूँ जब मैं अपनी ट्रेनिंग करती हूँ तो वही मुझे ठीक लगता है क्योकि शायद मैं उसी के लिए बनी हूँ, मेरी दुनिया ये नहीं है, मेरा अपना गेम ही मेरी दुनिया है।

 

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