आपको फ़िल्मी कीड़ा कब से लगा ?

कह सकती हूं कि ऐक्टिंग का कीड़ा तो मुझे बचपन से ही लग गया था , मैं हमेशा से सिर्फ़ और सिर्फ़ ऐक्टिंग को ही अपना प्रफ़ेशन बनाना चाहती थी। जब मैं नौ साल की थी तभी से डान्स सीखने लगी थी और स्कूल में भी डान्स, ड्रामा करती थी । बचपन से ही मैं नौटंकी गर्ल रही हूँ, मिरर के सामने खड़े होकर ऐक्टिंग करना मेरा फ़वरेट पास टाइम रहा है। मुझे फिल्में देखने का भी बहुत शौक़ है, मैं हर शुक्रवार रिलीज़ होने वाली फ़िल्म देखती हूूं। मुझे हर तरह की फ़िल्में देखना पसंद है , हाँ रोमांटिक कॉमडी देखना मैं ज्यादा एंजॉय करती हूं ।

आपकी परवरिश में पेरेंटस का कितना सहयोग रहा है?

मैं अपने मम्मी और पापा दोनों के काफ़ी क्लोज़ हूँ । यूँ तो पापा अलग रहते है लेकिन मैं पापा से रोज़ मिलती हूं। पापा मुझे गाइड करते हैं। मुझे फ़ैमिली का पूरा सपोर्ट है ।

अजय देवगन के साथ आपका इक्वेज़न किस तरह का रहा ?

अजय सर मेरे मेंटर हैं। वैसे तो मेरे लिए वो फ़ैमिली के समान है फिर भी इस फिल्म के लिए मैंने ऑडिशन हुआ । वो फ़िल्म के निर्देशक भी हैं,  साथ ही ऐक्टिंग भी कर रहे है । अजय सर का फ़ोकस बहुत अच्छा है और उन्हें पता होता है की उन्हें क्या करना है। बतौर अभिनेता तो वे बेहद नैचुरल हैं। निर्देशक के रूप में वे बहुत ही अनुसाशन प्रिय हैं। सेट पर टेन्शन होने पर भी महसूस नहीं होने देते। कभी भी ऐसा कहकर नर्वस नहीं करते कि ये करो वो मत करो । उन्होंने हमेशा कहा कि नैचुरल रहो।

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आपको स्टार किड होने का क्या फ़ायदा मिला ?

सिर्फ स्टार किड होने से काम नहीं मिलता है। किसी भी फ़िल्म में रोल तभी मिलता है जब आप उस रोल के लायक हों या आपका काम उन्हें पसंद आया हो ।बिना प्रतिभा के कोई काम नहीं देगा। हां, फ़िल्मी फ़ैमिली का होने से आप लोगों को पहले से जानते है और फ़ैमिली फ्रेंड्स होते हैं। जब ऑडिशंज़ के लिए ऑफ़िस में जाओ तो शायद उतना डर नहीं लगता जितना एक न्यू कमर को लगता होगा ।

आपको फ़िल्म लाइन जॉइन करने से पहले सभी बड़ों ने क्या सलाह दी ?

पापा हमेशा से कहते थे कि वही करो जिससे तुम्हें ख़ुशी मिले। कड़ी महनेत करो । बिना महनेत के कुछ नहीं होगा फिर अगर तुम्हारे नसीब में है, तो नाम और काम दोनों मिलेगा । मेरी फूफू ( सायरा जी ) कहती हैं कि सेट पर जाने से पहले सब सीख कर , वेल प्रिपेर हो कर जाओ । अपने फूफाजी ( दिलीप साहब ) से मैंने भाषा सीखी है। उनकी उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओं पर कमांड है, उनके साथ बैठकर आप कुछ न कुछ सीखते ही है ।

आपके फ़वरेट ऐक्टर और ऐक्ट्रेस ? 

जब मैं छोटी थी तब ‘कहो ना प्यार है’ फ़िल्म आईं थी और तभी से मैं ह्रितिक रौशन की फ़ैन हूं। मेरी फेवरेट ऐक्ट्रेस मेरल स्ट्रेम है। बड़ी कमाल की ऐक्टिंग करती है।

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दिवाली के दिन आपकी फ़िल्म ‘शिवाय’ के साथ ही करन जौहर की फ़िल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ रिलीज़ हो रही है। क्या अपको दोनों फिल्मों की तुलना से डर लग रहा है ?

नहीं बिलकुल नहीं । मैं अपने आप को किसी से भी कम्पेयर करने के लिए अभी बहुत छोटी हूँ । वो सब मेरे सीनियर है । हिंदी फ़िल्मों में ये मेरा डेब्यू है इसलिए मैं नर्वस ज़रूर हूं। मैं चाहतीं हूं कि लोग मुझे और मेरी फ़िल्म को पसंद करें, मेरे काम को सराहना मिले मुझे फ़िल्म इंडस्ट्री ऐक्सेप्ट करे। मैं एक अच्छी ऐक्टर और स्टार बनना चाहती हूं। 

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