Nariman ki kahani-कमाल टॉकीज चौक उसका पक्का अड्डा था। वह पिछले पहर यहां आती और चौक में इधर-उधर खड़ी रहती। कभी-किसी मोची से अपने सैंडल पॉलिश करवाने लगती. कभी साइकिल की दकान पर खडे होकर. वहां के नौकर से इस प्रकार बतियाती. मानो वह उसकी साइकिल का पंचर लगा रहा हो और तो और कभी […]