Hindi Poem: जरुरी तो नहींहर तपस्या जंगल से हीं प्रारम्भ होएक दूसरे से दूर रहके इन महीनों मेंएक तपस्या हमने भी तो की हैंमेरी जिंदगी तुमने………तुम्हारी जिंदगी मैंने जी हैं…….. तपस्या मौन कीतपस्या शोर कीतपस्या इंतजार कीतपस्या समझौते कीतपस्या जुदाई कीतपस्या एतबार की…….. तपस्या समर्पण कीतपस्या मर्यादा कीतपस्या अभिव्यक्ति कीतपस्या राग कीतपस्या विराग कीतपस्या उलझी हुई पहेली […]
Author Archives: राधा शैलेन्द्र
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माँ तुम बहुत याद आती हो-गृहलक्ष्मी की कविता
Mother Poem: वो जो कहती थी “जाओ माँ…..जब मैं हॉस्टल जाऊंगीतुम्हें बिलकुल याद नहीं करूंगी”वो अब मुझे दिन – रात याद करती हैंतुम्हारें बगैर कितनी अधूरी हूँ माँये शिकायत हर रात मुझसे करती हैं!सिर्फ तुम्हारें इर्द -गिर्द हीं होने सेमेरी हर परेशानी दूर हो जाती थीमैं खामोश रहती थी औरतुम सबकुछ समझ जाती थी!वो प्यार […]
