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मां के चले जाने के बाद-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Kavita: कितना कुछ बदल जाता हैजीवन में बेटियों केबस एक मां के चले जाने के बादकि स्वीकारा नहीं जाताजाने क्यों यह बदलाव?नहीं होती हैं रौनकें कोईन बचपन खिलखिलाता हैभले ही उम्र कितनी हो बेटियों कीतन से कम मगर मन से तोबेटियां बूढी-सी बन जाती है।कितना कुछ बदल जाता हैजीवन में बेटियों के बस एक […]

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अपनी प्रेम कहानी ऐसी बन जाए-गृहलक्ष्मी की कविता

Hindi Poem: हे प्रिय! काश हमारी भी ऐसी ही,प्रेम कहानी बनी रह जाए।उम्र साठ के बाद भी,ये साठ-गांठ अपनी,और मजबूत बन जाए।मैं तेरी आहट को पहचानूँ,तू मेरी खामोशी भांप जाए।तुझे तलब़ लगने से पहले,कांपती हाथों से चाय लेकर,तेरे ही सामने आ जाऊं।भले कोई और नाम ना रहे याद,दोनों के लफ़्ज संग ‘शानू’ कह जाए।मेरी राह […]

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