दो यमदूत आदमी के प्राण लेने धरती पर आए थे। चलते-चलते उन्हें एक आदमी मिला जो गन्ना चूस रहा था। उसे एक यमदूत ने पूछा- “मित्र, क्या करने लगे हो?” जी, गन्ना चूस रहा हूं।” आदमी ने बड़ी मीठी आवाज में कहा। “यार, दोनों ओर से?” दूसरे यमदूत ने कहा। “जी दोनों ओर की मिठास […]
Author Archives: कृष्ण चंद्र महादेविया
चोर का मन उतावला-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
नाई ने आज अपना उस्तरा चर्म के चुकड़े पर कुछ अधिक ही तेज किया था। उसके मन में सैंकड़ो विचार दौड़ रहे थे। उसके पास अपनी दाढ़ी करवाने बैठे राजा साहब की नजर सामने दीवार पर कविता पंक्तियों पर पड़ गई। अचानक राजा ने वो कुछ अधिक ऊंचे स्वर में पढ़ ली। घिसती रही घिसाती […]
कोदे की रोटी-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
शहनाई बजाने के बाद माठू राम ने चक्की में अनाज पीसती दर्शणु देवी से रोटी खाने की दीनता से आग्रह किया तो उसने रसोई से कोदे की रोटी में भूने आलू की चटनी परोस कर दे दी। पानी की भरी एक गड़बी भी उसके पास रख दी। माठू राम ने रोटी का एक-एक कौर बड़े […]
आधा-आधा स्वाह-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
एक बार की बात है कि एक किसान के खेत में मनमोहिनी-सुन्दर कपास पैदा हुई। कपास को देखकर पुरोहित ने अपने यजमान किसान से कपास मांगी किन्तु किसान बिल्कुल मुकर गया। कुछ दिनों के उपरान्त अचानक किसान की बेटी की शादी लग गई। किसान ग्रह-लग्न देखने पुरोहित के पास गया। कपास के लिए पुरोहित के […]
नमक और पत्थर-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
नमक और पत्थर पानी में गोता खाते-खाते पानी में डूब गए थे। पत्थर तो पत्थर था परन्तु नमक पानी में गलने लग गया था। नमक को गलता देख पत्थर जोर-जोर से आवाज देने लगा। ‘गल गया, ओए…गल गया। ….नमक गल गया।’ उसे जोर से बोलता देखकर लोगों ने कहा- “तुम तो ठीक-ठाक हो, क्यों ऊंचे […]
उजाला-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
पिछली रात की भान्ति आज फिर बापू-बेटा आधी रात को चोरी करने निकले थे। चढ़ाई चढ़ने के बाद दोनों धार पर सुस्ताने लगे थे। सामने धार के छोर पर एक घर को प्रकाश से जगमगाते देखकर तेरह वर्षीय बेटे ने हैरानी से धीरे से कहा- पिता जी, ये तो वही घर है न, जहां हमने […]
नाक कटी देवी-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
बहुत पुरानी बात है कि एक पति और उसकी पत्नी आपस में झगड़ रहे थे। पत्नी बोले कि उसे पिता के घर जाना है पर उसका पति बोले कि नहीं जाना है। पर पत्नी भी जिद्द पर अड़ी रही। वह अपने पिहर अवश्य जाना चाहती थी। भला पिहर किसे प्यारा नहीं होता। सयाने कहते हैं […]
सीख-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
किलटे में बुढ़े पिता को तीर्थ कराने के बहाने ढोलू दरिया के किनारे ले जाकर खड़ा हो गया था। जैसे ही किलटे सहित बूढ़े पिता को दरिया में फैंकने को हुआ तो साथ आया बेटा बोल उठा- “पिता जी, किलटा तो मत फैकिए।” “क्यों बेटा?” “जब आप बूढे हो जाएंगे तो इसी किलटे में लाकर […]
वन के जीव-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
एक बार एक लुहार जंगल से एक रीछ पकड़ कर ले आया। उसने रीछ को घन मारना सीखा ही लिया। रीछ को शिक्षा इस तरह दी कि वह अपने बाएं हाथ की तर्जनी उंगली का संकेत जहां करता था रीछ वहीं घन की चोट मारता था। चुल्हे की आग में लोहे को खूब गर्म कर […]
म्यान और तलवार-21 श्रेष्ठ लोक कथाएं हिमाचल प्रदेश
नौजवान युवक और युवती नदी पार करने लगे थे। नदी गहरी थी इसलिए युवती ने अपना पायजामा उपर समेटा और नदी पार करने लगी। युवक की निगाहें उस की नंगी पिंडलियों और जांघों पर पड़ी तो वह अपनें में न रह पाया। वह भी पीछे से नदी पार करता गया। दूसरे किनारे पहुंचते ही उसनें […]