Padmanabhaswamy Temple: मंदिर के खजाने से जुड़े रहस्यों और पौराणिक कथाओं के कारण केरल का श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर हमेशा लोगों के आर्कषण का केन्द्र रहा है। इस धार्मिक स्थल की गिनती देश के प्रसिद्ध, भव्य और अमीर मंदिरों में की जाती है। भगवान विष्णु को समर्पित इस प्राचीन मंदिर में सात तहखाने मौजूद हैं। वास्तुकला का बेजोड़ नमूना पेश करने वाला तिरुवनंतपुरम मंदिर केरल और द्रविड़ शैलियों से बनकर तैयार हुआ है। करीबन पांच हजार साल पुराने इस मंदिर की स्थापना सोलहवीं शताब्दी में हुई थी। केरल के तिरुअनंतपुरम में बने पद्मनाभस्वामी मंदिर को त्रावणकोर के राजाओं ने स्थापित किया था। सन् 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को पद्मनाभ दास घोषित कर दिया। इसके साथ ही पूरा का पूरा राजघराना मंदिर की सेवा में जुट गया। अब शाही घराने के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट मंदिर की देखरेख कर रहा है ।
मंदिर के तहखानों का रहस्य
भगवान विष्णु को समर्पित इस प्राचीन मंदिर में कुल सात तहखाने मौजूद हैं। हांलाकि इनमें से छ तहखानों तक सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद पहुंचा जा चुका है। जहां हीरे, मोती, सोने, चांदी और अन्य धातुओं समेत रत्न से जड़ी मूर्तिंया मौजूद हैं। इन तहखानों में प्रवेश करने पर हजारों करोड़ का सामान और सिंहासन देखने का मिला। जहां इन तहखानों से अरबों खरबों का खजाना मिला है। वहीं एक तहखाना ऐसा भी है, जिसके दरवाजें पर सांप की आकृति बनी हुई है। ऐसा माना जाता है कि जो भी उसे खोलने का प्रयास करेगा उसे सांप डस लेगे। दरवाजे पर बनी सांप की आकृति के चलते वहां तक पहुंचने की कोशिश को फिल्हाल रोक दिया गया है।

इसके अलावा मंदिर के सातवें तहखाने को खोलना अशुभ समझा जा रहा है। ऐसा माना जाता है कि सातवें दरवाजे को मंत्रोच्चार से बंद किया गया है और उसे उसी तरीके से खोला भी जा सकता है, लेकिन इसमें जरा सी भी चूक हुई तो मृत्यु निश्चित है। इन सभी वजहों से ही यह दरवाजा दुनिया के लिए एक रहस्य बना हुआ है। ऐसा माना जाता है कि इस दरवाजे की रक्षा खुद भगवान विष्णु के अवतार नाग कर रहे हैं और इसे खोलना किसी बड़ी प्रलय का कारण साबित हो सकता है। इस तहखाने में तीन दरवाजे हैं। पहला लोहे की छड़ों से बना है, दूसरा लकड़ी से तैयार किया गया भारी दरवाजा है और तीसरा भी लोहे का ही दरवाजा है, जिसपर सांप की आकृति उकेरी गई है। इस तहखाने की खास बात ये है कि इसे किसी ताले या फिर कुंडी लगाकर बंद नहीं किया गया है। केवल मंत्र उच्चारण से ही इसे बंद कर दिया गया था।
मंदिर से जुड़ी खास बातें
इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसमें विष्णु जी शयनमुद्रा में शेषनाग पर विराजमान है। इनके दर्शनों के लिए प्रतिदिन हजारों भक्तजन यहां आते हैं। इस मंदिर के अंदर एक स्वर्ण स्तंभ है, जो मंदिर की खूबसूरती पर चार चांद लगाता है। इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए पुरूषों को धोती और महिलाओ का साड़ी पहनना अनिवार्य है।
