हजारों साल पहले से ही साड़ियों को महिला के श्रृंगार का अभिन्न हिस्सा माना जाता रहा है। साड़ी में महिला किसी भी तीज त्यौहार में किसी चांदनी से कम नहीं लगती। साड़ियों के पहनावे में जितने बदलाव आये हैं, उतने ही बदलाव इनसे जुड़ी वैराइटी में भी देखने को मिली है।
