हमेशा से ये माना जाता रहा है कि कानून महिला हितों की रक्षा में अक्सर पुरुषों के हितों की अनदेखी कर देता है, लेकिन ये पूरा सच नहीं है। ये ठीक है कि भारत में महिलाओं के शोषण का इतिहास इतना पुराना है कि उन्हें इससे बचाने के लिए विशेष संरक्षण की ज़रूरत है। यहां तक कि ये स्थिति आज भी बहुत ज़्यादा नहीं बदली है। महिलाओं पर होने वाले अत्याचार आज भी समाचारों की सुॢखयों में रहते हैं। इन्हीं के चलते कानून में महिला हितों की रक्षा के लिए लचीला रुख अपनाया गया है, लेकिन इसका मतलब ये हर्गिज़ नहीं है कि पुरुषों के हितों की अनदेखी की गई है।
